Chapter 21 - Chandra (part 3)

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हेल्लो दोस्तों, सबसे पेहले देरी के लिए मैं आप सबसे माफ़ी चाहती हूं । हर बार की तरह समय की कमी होने के बावज भी मैंने दिल लगाकर इस चैप्टर को लिखा है ।  लेकिन इसके बावजूद भी अगर कोई कमी हो तो प्लीज़ संभल लीजिएगा । और अपने कमाल के एक्स्पीरियंस इस चैप्टर के कॉमेंट बॉक्स में साझा करिएगा। मेरे लिए आपके वोट और कॉमेंट हमेशा कीमती रहेंगे।
पकी, बि. तळेकर ♥️

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कहानी अब तक: अगर पलक उसका नाम पुकार लेती तो वो समझ जाती कि पलक उसकी मौजूदगी से वाक़िफ है । और फ़िर वो खुलेआम पलक के सामने आकर उसे नुक़सान पहुंचाती । जो मैं.. हरगिज़ नहीं होने दे सकता था ।
"और तुम ?" पलक ने मेरी आंखों में गहराई तक झांकते हुए, "मैं जानती हूं । आज भी तुम्हें वही तकलीफ़ होती है, जो तुमने कई सालों पेहले मेहसूस की थी । तुम भी अपने परिवार से बहोत प्यार करते हो ।" बिल्कुल धीमी आवाज़ में, "उनसे दूर होने का दर्द आज भी तुम्हारे मन को जला रहा है । लेकिन, सिर्फ़ एक बार अपने आई-बाबा के लिए ख़ुदको इस तकलीफ़ से आज़ाद कर दो । मैं तुम्हें.. इस तरह परेशान नहीं देख सकती ।" यक़ीन के साथ कहा ।

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अब आगे...


पलक की वो बाते, उसकी वो कानों में घुलने वाली मीठी सी आवाज़ मेरे मन को गहराई तक छू गईपलक वो पेहली लड़की थी, जिसने मेरे जज़्बात को इतनी अच्छी तरह समझा था । और पलक वो पहली इंसान थी जो पूरे हक़ के साथ मुझसे नज़रें मिलाकर बिना डरे बात कर सकती थी । लेकिन, मैं... सिवाय उसकी उन गहरी कशिश भरी आंखों में देखने के और कुछ नहीं कहे पाया ।
"शायद, हो सकता है । मगर फ़िर भी मैं कोशिश करूंगा ।" कुछ पलों बाद अचानक अपनेआप से घबराकर मुंह मोड़ते ही, "लेकिन, पारलौकिक दुनिया में जो चीज़ जितनी आसान लगती है उतनी होती नहीं । फिजिकल वर्ल्ड चीजों और इंसानों के अस्तित्व पर टिका होता है जबकि, एस्ट्रो वर्ल्ड सिर्फ़ परछाइयों और सायों से रचा होता है, जो सिर्फ़ किसी आत्मा की सोच से पलक झपकते ही बदल सकता है । और इसी वजह से आत्माएं इंसानी दिमाग से खेल सकती है ।" मैंने गंभीरता से चेतावनी देते हुए कहा ।
तभी अचानक हमने आर्या के शरीर में हलचल देखी । उसे ठंड लग रही थी । और वो बेहोशी की हालत में ठिठुर रहा था ।
आर्या को ठंड से ठिठुरते देख, "मैं आर्या के लिए कंबल ले आती हूं ।" पलक ने कहा और वहां पड़े कुछ बर्तनों को उठाते ही वो किचन से होकर लौटते हुए अपने कमरे में गई ।
पलक को गए लगभग 10 मिनिट बित चुके थे । उसे वापस लौटने में कुछ ज़्यादा ही समय लग रहा था । इस लिए मुझे उसकी फ़िक्र हुई और मैं उसे देखने उसके कमरे में जा पहुंचा ।
उसके कमरे तक पहुंचते ही, "चंद्र..!" पलक परेशानी में मुझे पुकारती हुई बाहर चली आई । लेकिन मेरे पूछने पर उसने कुछ नहीं बताया ।
वापस हॉल में आते ही पलक ने आर्या को कंबल ओढ़ाया और ख़ुद भी चद्दर ओढ़कर दूसरे सोफ़ा पर बैठ गई ।
"तो वाणी का क्या हुआ, चंद्र ?" पलक ने कहानी की ओर मुड़ते हुए सवाल किया ।
पलक के सवाल के जवाब में, "तरंग ने कहा कि इस बार वो ख़ुद उस जगह जाने की कोशिश करेगा जहां वाणी फंसी है । और उस समय वो अपना मोबाईल फोन भी अपने साथ ले जाएगा, जिसमें GPS सिस्टम मौजूद है । इस तरह वो नक्शा देखकर घर लौटने का रास्ता ढूंढ पाएंगे । 'मेरे ख़्याल से ये करना काफ़ी फायदेमंद साबित होगा । इस बार मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी ताकि तुम्हें किसी तरह की अड़चन ना हो ।' पूर्वा ने तरंग से सेहमत होकर उतावलेपन में कहा । 'नहीं पूर्वा, तुम नहीं आ सकती । क्योंकि अगर मेरा अंदाजा गलत निकला तो हम सब मुसीबत में पड़ सकते है। हम भी वाणी की तरह हमेशा के लिए वहीं क़ैद हो सकते हैं । और वैसे भी तुम्हारी ज़रूरत मुझे यहां पर है । अपने बचपन की तरह आज भी तुम्हें उसी जगह जाना होगा जहां तुम अपनी दीदी के साथ जाती थी । तुम्हें अपने उसी पुराने घर जाकर अपने मोबाईल फोन के ज़रिए हमें यहां इस घर तक लौटने का रास्ता दिखाना होगा ।' तरंग ने पूर्वा को समझाते हुए कहा । और अगले दिन वो सभी लोग फ़िर एक बार वाणी के घर पहुंचे । पूर्वा के कहे मुताबिक़ वाणी के मां-पापा को किसी ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ा । और वो शाम को लौटने वाले थे । इसलिए उन्हें परेशान करने वाला कोई नहीं था । पूर्वा अपने पुराने घर पहुंचकर तरंग के मैसेज का इंतजार कर रही थी । वहीं तरंग वाणी के पास बैठकर दूसरी दुनियां में जाने के लिए ख़ुदको तैयार कर रहा था । मगर अफ़सोस इस बात का था कि तरंग अब तक एस्ट्रो ट्रावेल करना नहीं सीख पाया था । वो काफ़ी समय तक वाणी का हाथ अपने हाथों में लिए ध्यान लगाकर बैठा रहा । लेकिन कुछ नहीं हो पाया । जिससे वो काफ़ी परेशान हो गया था । 'ये तुमसे नहीं हो पाएगा । मैं जानता हूं, तुम्हें दूसरी दुनियां में कैसे लाना है ।' अधिर होकर तरंग के साथ घूम रही उसके भाई की रूह ने चिड़ते हुए कहा । उसकी बात सुनते ही, 'क्या करने वाले हो तुम ?' हैरानी में तरंग ने सवाल किया । 'जो भी करूंगा उससे तुम यक़ीनन दूसरी दुनियां में चले आओगे । तुम सिर्फ़ ये बताओ कि तुम राज़ी हो ?' उस रूह ने रहस्यमय तरीक़े से अपनी खौफ़जदा लाल डरावनी आंखों से तरंग की ओर घूरते हुए सवाल किया । और मौ़के की नज़ाकत को समझते हुए तरंग ने मजबूरी में अपना सर हिलाकर हामी भर दी ।" कहते हुए मैंने कहानी को जारी रखा ।

Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndiaTempat cerita menjadi hidup. Temukan sekarang