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डूब रही है यह शाम
कही चिखती लहरों के तले
तो कही ऊंचे पर्वतों के परे

डूब रही है यह शाम
कही चिड़ियों के कलरव मे बहती
तो कही शहरों के शोर मे रहती

हा, डूब रही है यह शाम
अधूरे निले आसमान को छोड़
आग के रंगो मे रंग रही है शाम

हा, डूब रही है यह शाम...

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