वो बर्फीली रात पार्ट -4

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फिर अंकल, आंटी ने भी विदा ली और जाने लगे। तभी आंटी मेरे पास आई और मेरे हाथ में कुछ थमाया मेरे माथे को चूम कर हल्की सी इस्माइल देते हुए कहा बेटा अपना ध्यान रखना।

और वो चली गई। मुझे मेरी होने वाली सासु मां बहुत अच्छी लगी।
फिर मैंने  टेबल से बर्तन इकट्ठे किए और उन्हें धोने चली गई। मम्मी- पापा और दादा जी बैठक में जाकर उनकी बाते करने लगे की उनका परिवार बहुत अच्छा है। वो बहुत ही मिलन सर लोग है।

और मैं किचन में बर्तन धोते हुए बस आदित्य के बारे में सोच रही थी। वो वैसे आदत में तो बहुत अच्छा है। और मुझे शादी से पहले पढ़ाना भी चाहता है। वो भी अमेरिका जैसे देश में, अपने खर्चे पर, और उसका मम्मी पापा से व्यवहार भी बहुत अच्छा है।

मुझसे भी बहुत अच्छे से बात की। फिर भी पता नहीं क्यूं आदित्य को लेकर मुझे थोड़ी घबराहट हो रही थी। शायद ये मेरी सगाई की वजह से थी। या अमेरिका में जाकर आदित्य के साथ रहने की या वहा पढ़ाई करने की। मैं नहीं जानती। मैं ये सब सोच ही रही थी।

की मम्मी किचन में आई और बोली अरे तूने बर्तन धो लिए। मैंने कहा हां मम्मी, मम्मी ने चहरे को देखते हुए बोला क्या हुआ। मैंने कहा मम्मी मुझे डर लग रहा हैं। और घबराहट भी हो रही है। मम्मी बोली ऐसा होता है, सगाई से पहले, तुम्हारे लिए थोड़ा मुश्किल होगा। उसके साथ रहना, उसका ध्यान रखना, फिर मम्मी बोली दिखा। तेरी सास ने क्या दिया है। तुझे जाते हुए,

मैने वो डिब्बा किचन की स्लिप से उठाया और मम्मी के हाथों में दे दिया।

मम्मी ने उसे खोला उसमें बहुत ही सुन्दर से दो कंगन थे। 
मम्मी ने कंगन को डिब्बे से बाहर निकाला और मेरा हाथ पकड़ कर मेरे हाथ में डाल दीये। और मुस्कुराते हुऐ बोली, बहुत सुंदर लग रहे  है। तेरे हाथ में ये कंगन और मैं हंस दी।
फिर हम सब सोने चले गए।

और फिर अगले दिन से पापा मेरी सगाई की तैयारी में लग गए।
मम्मी सभी रिश्तेदारों को फोन पे बताने लगी की मेरा रिश्ता हो गया है और अगले हफ्ते मेरी इंगेजमेंट हैं।

वो बर्फीली रातWhere stories live. Discover now