क्या करें अब जायेंगे हम किस तरफ़,
हैं धुवाँ धुवाँ फैला हुआ सा हर तरफ़!आग़ यह लगी है ना जाने किस तरफ़,
बढ़ रहा हैं मौत का तमाशा हर तरफ़!जल रहा यह संसार जैसे समशान हैं,
कौन जिता हार गया कौन हर तरफ़!ढूँढ लिया हर किसी ने हर ठिकाना मगर,
छोड़ गया कोई शहीद़ हुआ हर तरफ़!जान हाथों पर लिये आया था बचाने,
आँसू छुपायें थे हर आँखों ने हर तरफ़!मत पूछो इन आँखों ने क्या देखा है,
जान बचाते हुए गँवाते देखा हर तरफ़!आज मिलीं हैं सीख देख कर झ़ील,
जिंदगी यह एक मिराज़ हैं हर तरफ़!आग का क़हर किसी से रूका नहीं है,
शौक मनाते हुए देखा सिर्फ़ हर तरफ़!
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अक़्स
Ficção Geralwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...