शायद वह मेरा ख़याल था,
मोहब्बत का आखिरी सवाल था,
जिसे उम्र भर सजाया आँखों में,
आईना वह भी कुछ क़माल था!उसे याद करतें करतें मैंने,
थोड़ा ग़म शायद कमा लिया,
जो दे दिया था जख़्म उसने,
मेरी जिंदगी का वह उधार था!सारी दुनिया को यह मालूम था,
मेरा हमसफ़र बहोत दयालु था,
जब हो गया वह मुझसे जुदा,
मोहब्बत पे मेरी वह मलाल था!जिस दिन मिलायें थे उसने क़दम,
एक दूजे के बाद आप और हम,
ना वह मिला फिर ना मिलें थे हम,
सारे शहर में फिर भी बवाल था!ऐसा नहीं की मनाया नहीं है,
हर वक़्त मुझे आजमाया नहीं है,
गुलशन में फूल और काँटों में,
कुछ बेहिसाब सा यह बेताल था!देख कर सितारों का वह घूँघट,
और ख़ामोशीयाँ सहती वह रात,
दिल अपना तो चाँद पे बना लिया,
यही इश्क़ दा शायद जवाब था!
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अक़्स
General Fictionwinner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं...