वो लम्हें

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वो लम्हें बहुत याद आते है
जो सहेलियों के संग बिताते है।

अलग अलग है मंजिल सबकी
अलग अलग है रास्ते
फिर से ये दिल चाहता तुमसे मिलने के वास्ते।

कहां होती है आजकल एक भी मुलाकात उनसे
जिनके साथ थे पूरा दिन बिताते।

कहां मजा है इन मोबाइल गेम में
जो सहेलियों संग था गुड़िया के खेल में।

पता नहीं था यह वक्त इतना बदल जायेगा
जो स्कूल की सहेलियों संग बिताया बस याद बनकर रह जायेगा।

                                                     लीला चौधरी

                                               

मेरे शब्द Where stories live. Discover now