अंधेरे में भटकते हुए,
एक दिए के जलने का एहसास!
ग़म में डूब जाने पर,
मुस्कुराहटों को पाने की आस !तुम्हें करता मैं बयां, अगर लफ्ज़ होते!
बस कुछ लफ्ज़ होते!!डाली से जो टूट गया,
अकेले पड़े उस पत्ते का रोना!
तकलीफ के मेले में ,
अपनी तमाम खुशियों को खोना!तुम्हें करता मैं बयां, अगर लफ्ज़ होते!
बस कुछ लफ्ज़ होते!!
अभिलाष सिंह
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अगर लफ्ज होते!!!
Puisiतुम्हें करता मैं बयां, अगर लफ्ज़ होते! बस कुछ लफ्ज़ होते!!