मीलों चलने पर भी थका नहीं हूं मैं,
मुझमें कुछ करने की आस बाकी है,
ये जहां छोड़ने से पहले,
अभी कुछ सांस बाकी हैं,
ता-उम्र मुसीबतों के बाद भी,
दर्द का साथ बाकी हैं,
शायद कुछ किस्सों को खत्म करने के लिए,
थोड़ी-सी बात बाकी हैं,
जख्म कम न थे,
पर फिर भी आंसूओं का अहसास बाकी हैं,
हम तो उम्रभर तन्हा ही थे,
पर कुछ भूल जाने के लिए तेरी याद बाकी हैं।- shubham
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झंकार
Poetry#1 in poetry___7. 7. 18 and 19. 8.17 कागज़ के झरोखों से झांकते, मेरी स्याही में लिपटे अलफाज....