अध्याय ६

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"कुमार, कृपया इस दास को कक्ष में प्रवेश करने की अनुमति दें ।"परिचारक ने कक्ष के बाहर से पुकारा ।

"अवश्य!",शर्व ने उत्तर दिया।

परिचारक ने कक्ष में प्रवेश कर कहा,"मैं आपको सूचित करने आया हूँ की आप कुछ देर विश्राम कर स्नान कर लें । तत्पश्चात कुमार आयुध कृपया सांझ की शोभायात्रा हेतु उपस्थित हों ।" इतना कहकर वह चला गया ।

...

"कुमार लव ?" मीरा ने कक्ष का द्वार खोलते हुए लव को पुकारा ।

लव आसन पर वातायन के पास बैठा हाथ में पुस्तिका लिए किसी विषय पर अध्ययन कर रहा था । मीरा को पुकारते सुन वह उसे चिढ़ाते हुए बोला,"जी ?"

"ऊपर्व से गुरुजी के पौत्र तुमसे भेंट करने राज-भवन पधारे हैं ।"

इतना सुनते ही वह शीघ्रता से खड़ा होकर बोला,"वे अभी कहाँ हैं?"

"वे पश्चिमी वाटिका में प्रती-"

"इसे पकड़ो" लव ने मीरा के हाथ में पुस्तिका सौंपते हुए एक ही श्वास में कहा,"जाते समय इसे पुस्तकालय की एक-सौ बाईसवीं श्रृंखला में रख देना । क्षमा करना मुझे शीघ्र ही जाना होगा ।" इतना कहकर वह स्वयं कक्ष से बाहर चला गया जबकि मीरा वहीं ज्यों की त्यों खड़ी थी ।

...

वाटिका में एक सुंदर सज्जन युवक उपस्थित था । उसकी चलने की शैली मानो सुझाती हो की वह कुलीन हो । उस पर गौरव की आभा छाई हुई थी । उसके मुख पर शांत व नम्र भाव, उसके ओठों पर अनायास ही एक स्मित था । उसके केश लंबे व काले थे जिनका अर्ध भाग लस्त व अर्ध भाग मुक्त था । उसने श्वेत वस्त्र व अल्पतम आभूषण धारण किए थे । वह किसी प्रतिष्ठित विद्वान सा लग रहा था ।

"भ्राता शंस !" लव ने दूर से हवा में हाथ लहराते हुए वाटिका के मध्य खड़े युवक को पुकारा । शंस ने भी मुस्कुराकर उसकी ओर हाथ हिलाया । लव दौड़ते- दौड़ते उसके निकट पहुँचा और झुककर चरण-स्पर्श किए ।

"अरे-अरे दंड प्राप्त होगा मुझे यदि किसी को ज्ञात हो गया कि मैंने स्वयं राजकुमार से चरण-स्पर्श कराएँ हैं।" युवक ने मुस्कुराकर कहा ।

शाश्वतम् प्रेमम्(Eternal love)Where stories live. Discover now