नगर में राजकुमार के पुनरागमन की चर्चा हो रही थी। राजकुमार कई वर्ष पश्चात नगर लौटे हैं ।
बालावस्था में राजकुमार को राज-भवन के भीतर रखा जाता था इसीलिए राज-भवन के निवासियों के अतिरिक्त राजकुमार लव को किसी ने न देखा था । राजकुमार लव आठ वर्ष की आयु में ही नगर से दूर राज्य में कहीं प्रशिक्षण के लिए गए हुए थे । युवराज लव अत्यंत ही गुणवान एवं रूपवान युवक था जो धनुर्विद्या से लेकर हर क्षेत्र की विद्या का स्वामी था । जिससे उत्तम राजा कदापि अन्य कोई न हो सकता था परिणामस्वरूप राजसभा उन्हें बहुत पूर्व ही युवराज घोषित कर चुकी थी । कम से कम प्रजाजनों को तो तब से यही कहा गया था ।
इतने दिवस पश्चात नगर लौटने पर युवराज महल से बाहर नगर के दर्शन करना चाहते थे सो वे नगर के दर्शन हेतु नगर के बाजार के सैर करने लगे ।
संध्याकाल में बाजार दीपों से प्रकाशित एवं विभिन्न प्रकार की दुकानों पर लगी भीड़ से भरा था । विक्रेता ग्राहकों को आकर्षित करने हेतु उन्हें पुकार रहे थे ।
महिलाएँ श्रृंगार के वस्तुओं में रुचि दिखा रही थीं । युवतियाँ पुष्पों की मालाएँ बेच रही थीं ।
उसने मुस्कुराकर मीरा से कहा, "इन वर्षों में मुझे ज्ञात न था की यह स्थान इतना परिवर्तित हो चुका है। "
मीरा ने केवल सिर हिलाकर सहमति दी ।
टहलते-टहलते लव का ध्यान एक छोटी सी दुकान की ओर आकर्षित हुआ । दुकान में एक वृद्धा स्त्री बैठी थीं। यह दुकान अन्य दुकानों की तुलना में आकर्षक न होने के कारण वहाँ अधिक ग्राहक भी न दिख रहे थे।
दुकान के भीतर एक वृद्ध स्त्री बैठी थीं जो संभवतः दुकान की मालकिन थीं । उन्हें इस प्रकार अकेला बैठा देखकर लव को उन पर दया आ गई । वह उनकी ओर बढ़ा । मीरा भी उसके पीछे गई ।
दोनों को अपनी ओर आता देखकर वृद्धा स्त्री खड़ी हो गईं । वृद्ध स्त्री ने सहर्ष उनका स्वागत किया ।
"हे युवक,तुम क्या मोल लेना चाहोगे? कहो, मैं तुम्हारी सहायता कर सकती हूँ ।"
"वो... आ.." ।
इससे पूर्व की लव एक पूर्ण शब्द का उच्चारण भी करता, वृद्धा बोलीं ।
"देखो ! ये जोड़ेदार कान की बालियाँ कितनी सुंदर हैं। ये तुम और तुम्हारी प्रिया पर कितनी सुंदर लगेंगी ! है ना ? ये बालियाँ विशेषतः नवविवाहितों के लिए हैं ।"
इससे पहले कि लव कुछ कहता, मीरा ने जल्दी से आगे आकर कहा -" माता, मैं इनकी पत्नी नहीं,इनकी सखी हूँ । "
" ओह ! मुझे क्षमा करना पुत्री। मुझे ज्ञात न था।" "पुत्र, मैं केवल यह कहना चाह रही थी की ये बालियाँ कितनी सुंदर हैं । क्या तुम इन्हें मोल लेना चाहोगे ? "
वृद्धा स्त्री के मुख पर आशा देखकर लव को उन्हें इनकार करने की इच्छा न हुई। उसने वृद्धा को हाँ में उत्तर दिया । वृद्धा स्त्री ने एक छोटी सी लाल थैली में बालियाँ डालकर लव को थमा दी और कहा - " पाँच ताम्र सिक्के। "
लव के पास तो केवल चाँदी की मोहरें ही थीं । उसने मीरा की ओर सहायता के लिए देखा । मीरा ने अपनी थैली से निकालकर स्त्री को पाँच सिक्के दिए । वृद्धा स्त्री ने उन्हें धन्यवाद कहा । लव ने थैली लेकर अपने पास रख ली ।
वे दोनों उधर से आगे चले । कुछ देर पश्चात चलते- चलते लव ने मीरा की ओर देखा फिर पास के वृक्ष के तने पर चिपके एक छोटे से कीड़े को उठाकर मीरा के केश पर रख दिया । मीरा को लगा लव ऐसे ही मजाक कर रहा है । वह अपने बालों से उस छोटी सी वस्तु को निकालने लगी परंतु यह क्या??!
अपने हाथों में इस छोटे से जीव को देखकर मीरा चीखती हुई लव के पीछे दौड़ी । लव तो पहले ही पलायन कर चुके थे ।
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शाश्वतम् प्रेमम्(Eternal love)
Исторические романыश्वास का मंद स्वर,केश इधर-उधर बिखरे हुए,उसके ओठों पर गहरा लाल रंग छाया हुआ,अर्धचंद्र की चांदनी में उसका मुख उन पारदर्शी नयनों से अलौकिक प्रतीत हो रहा था .... An Indian historical bl (युवालय) written in Hindi. Starts on - 31st March, 2023 {Friday}