क्यूँ है तू इतना अच्छाकि तेरी अच्छाई ही तुझसे दूर जाने नहीं देती...
अहमियत बहुत हैं तेरी इस जिंदगी में
मानो ये जिंदगी तुझसे ही शुरू होती ..
तू जानता है अपनों को चुना है मैंने तुझसे पहले
फ़िर भी नाराज क्यूँ नहीं है तू ...
किस मिट्टी का बना है यार ,
क्या है तेरे मन में
हमेशा निश्चित रहीं हूँ पर हूँ अब असमंजस में..
कैसे चुनू मैं किसी एक को
अपनों में धड़कन बस्ती है तो
ये जिंदगी बसी है तुझमे..
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💞अनकही बातें 💞
Poetryसोच हो तो कुछ शब्दों में ज़ाहिर कर दू.. मेरे ख्याल हैं जनाब लफ़्ज़ों के मोहताज़ कैसे हो सकते हैं