पुराने घर की वो बड़ी सी आंगन ,सभी रिश्तेदारों का कौतूहल शोर के रूप में बाहर तक जा रहा था।परितोष की वापसी इस तरह से सब को चौंका देगी ये वहाँ उपस्तिथ किसी भी इंसान ने न सोचा था । शिखा जड़वत थी ,अमूल्य और अजिता पिता को पिता ही समझे इस प्रश्न में उलझे थे ।
सवालों की सुगबुगाहट को परितोष के पिता की चीख ने तोड़ा " क्या कमी रह गयी थी तुम्हारे जीवन में बोलो जो तुम पहले घर छोड़ कर चले गए और अब ये कांड कर लौटे हो ....बोलो ....क्या कमी रह गयी थी ? एक सुंदर पढ़ी लिखी बीवी ....दो हीरे से बच्चे ......सरकारी विभाग क्लास वन ऑफिसर .....फिर क्या चूक हुई ? किससे चूक हुई जो तुम ये कर बैठे ? इसका हिसाब कौन चुकाएगा ? बच्चे बीवी माँ बाप किसी का न सोचा .....समाज में तुम कहाँ रहोगे ये ही सोच लेते " आखिरी इन वाक्य संग परितोष के पिता ने माथा पिट लिया ।
"कुछ बोलोगे परितोष ....तुम इतने स्वार्थी कैसे हो सकते हो .....कैसे ?? जवाब दो .....कैसे तुमने मेरी बेटी और नाती नातिन का जीवन इतनी आसानी से दांव पर लगायां .....कैसे?..मैं तुम्हे कोर्ट में घसी टूंगा .....मज़ाक बना दिया मेरी बेटी का इस समाज में तुमने "शिखा के रसूख वाले नेता पिता ने एक सांस में धमकी दे डाली
परितोष की माँ तो जमीन में गड़ जाना चाहती थी घृणित निगाह परितोष पर डाल उनकी सरसरी निगाह किटी पार्टी वाली पडोसनो पर जा ठहर र्रही थी बस उनका बेहोश होने बाकी था ये सोच कर की कितनी जग हंसाई होगी ।
"भैया मैं तो आपकी बहन हूँ .....अन ब्याही बहन ...कौन ब्याहेगा मुझे आपकी बहन होने के बाद ....कौन?....आख़िर किंस फितूर ने आपको ये करने पर मजबूर किया ....किंस फितूर ने भैया?....ये सवाल परितोष की छोटी बहन ने रुंधे हुए गले से पूछा
सवाल! सवाल! सवाल!
उत्सुकता न खत्म हुई पर सवाल तक गए ।थके सवालों ने आंगन में गहरी खामोशी बिछा दी ।मौत के बाद सी खामोशी
ऐसा क्या कर दिया था परितोष ने जो सब इस तरह नाराज़ थे ?
क्यों एक सुखी परिवार खूबसूरत जीवन को छोड़ अचानक एक रात परितोष बिना कुछ कहे चला गया और अब क्यों वापस आया परितोष ?