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#शायर

शायर हो खुद आप,
कैसे बांधू मैं आपको शायरी में?
राज़ नहीं है रिश्ता कोई,
की छुपा के रखूं डायरी में।

उबर खाबर रास्ते थे,
कभी रोशनी कम, ज़्यादा था अंधेरा।
जितनी भी हुई थी झगड़े सारे,यार
लेकिन बड़ा ही अनोखा है ये किस्सा हमारे।

दिल की हर ख्वाइश पूरी नहीं होती
मन की हर बात कहीं नहीं जाती ,
जितनी भी हों उम्र की दूरियां,
पर दोस्ती में कोई बात छुपाई भी तो नहीं जाती।

प्यार, दोस्ती हज़ारों नखरे,
उलझा हुआ था बरा याराना हमारे,
पर पाता नहीं कैसे ये दोस्ती ही रहे गयी
जो दूरीयो को भी पास लाए सारे।

जो दूरीयो को भी पास लाए सारे।

#दूरीयो

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कुछ सपने और कुछ पंक्तियां Where stories live. Discover now