मनुष्यों की मीत

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देखो ये  बहती हुई नदियाँ, हमारे गतिमय जीवन का प्रतीक हैं
खेतों में लहराती हुई  फसल , गाती जीवन का संगीत है

पवन का ये लहराता  झोंका , हर लेता मन की पीर है
प्रकृति का ये शांत वातावरण , बंधाता मन को धीर है

वहीं खिलखिलाते सूर्य की किरणें, करती जीवन को प्रकाशित असीम हैं
तो कभी आसमाँ की ये  काली घटाएं, दुख में देती छाया शीत है

ये प्रकृति ही तो हम सब , मनुष्यों की मीत है

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