"तू बस चलता रह"

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दुख के रेगिस्तान में ए पथिक ,तू यूँ खड़ा न रह
है ग़र तुझे समंदर की प्यास ,तो तू चलता रहा ।

आशाओं की धूप खिलेगी , तभी तो ये जीवन निखरेगा
तू निराशा का तमस लेकर , यूँ मत बैठा रह ।

है गर अँधियारा जीवन में तो , चाँद तारों की रोशनी भी तेरी ही है
तू उस चन्द्रमा की चांदनी में, अपना मार्ग ढूँढ़ता रह ।

बाधाओं की ज्वाला देखकर , तू अपने कोमल मन को मत पिघला
दिखाकर तू अदम्य साहस ,पत्थर बनकर उन्हें सहता जा ।

जो तेरे पास है उससे तू ,अपने मंजर का मार्ग बनाना सीख
जीवन में जो नही है पाया ,तू उस पर मत पछताता रह।

तुम ही हो नाविक अपने जीवन के  ,तुम ही पतवार सम्भालोगे
अपने जीवन के उपवन को , मेहनत के फ़ूलों से महकाओगे ।

W_O_R_D_SWhere stories live. Discover now