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स्वतंत्रता दिवस के इस मौके पर नेता जी ओ. पी. सिंह जी को दो शब्द कहने के लिए आमंत्रित किया गया। नेता जी स्टेज पर आए और अपनी बात कहनी शुरू की । नेताजी के भाषण के बाद स्टेज पर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरस्कार वितरित करने की बारी आई तो इसके लिए भी ओ.पी. सिंह जी से आग्रह किया गया कि वह अपने कर कमलों से ही छात्रों को प्रोत्साहित करें। नेताजी स्टेज पर आए और एक एक करके छात्रों को पुरस्कार वितरित करने लगे। पुरस्कार के लिए साक्षी को भी बुलाया  तो तालियों से एक बार फिर पूरा परिसर गूंज उठा। साक्षी के प्रदर्शन से खुद नेता जी भी बहुत प्रभावित हुए हैं उन्होनें साक्षी को पुरस्कार देने के बाद कुछ पल रुकने को कहा, माईक मांगा और बोले ," प्रिय साथियों और प्यारे बच्चों, मैं आज अपने आपको बहुत ही ज्यादा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ कि मुझे आज इतनें प्रतिभाशाली बच्चों को सम्मानित करने का मौका मिला है । मैं आशा करता हूँ कि ये बच्चे भविष्य में कामयाबी की सीढियाँ चढेंगे और अपना तथा अपने परिवार का नाम रोशन करेंगे। मैं हमेशा ही प्रतिभाओं का समर्थन करता हूँ इसलिए अगर कभी भी इस तरह के आयोजनों के लिए मेरी मदद की जरूरत पडेगी तो मैं हमेशा तैयार हूँ... धन्यवाद।"

ओ.पी. सिंह जी के इस छोटे से ही सम्बोधन से साक्षी  की सोच में परिवर्तन आने लगा ,उसे लगने लगा कि लोग नाहक इनकी आलोचना करते हैं जबकि  नेता जी एक अच्छे इंसान हैं।साक्षी की सोच में यह परिवर्तन अपनी तारीफ सुनकर आया या कम उम्र में लोगों को समझने की अपरिपक्वता की वजह से आया यह तो भगवान ही जाने।

साक्षी जैसे ही स्टेज से नीचे जाने लगी नेता जी ने फिर उसे बुलाया और 11 सौ रुपये निकाल कर देने लगे। एक बार तो साक्षी हिचकिचाई लेकिन नेता जी बोले , " ले लो बेटा यह मेरी तरफ से है क्योंकि मुझे व्यक्तिगत रूप से तुम्हारा प्रदर्शन बहुत ही अच्छा लगा। (साक्षी को पैसे देने के बाद, अपनी जेब से कार्ड निकालते हुए) ये लो मेरा विजिटिंग कार्ड कभी भी तुम्हें कोई भी जरूरत पडे तो बस मुझे काल कर देना।"

अब साक्षी के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी दिखाई दे रही है।उसका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है और सबसे बडी बात उसकी सोच में परिवर्तन दिख रहा है।जो साक्षी पहले नेताओं से नफरत करती थी आज एक नेता से ही तारीफ के कुछ शब्द सुनकर वह फूली नही समा रही है। फिलहाल  कार्यक्रम समाप्त हो गया सारे अतिथि धीरे धीरे जा रहे हैं। 

कुछ देर तक अपनी सहेलियों से बातचीत करने के बाद साक्षी भी अपना बैग उठाकर घर जाने के लिए तैयार हुई। तभी उसकी एक सहेली ने उसका हाथ पकडकर बैठा लिया और शरारती अन्दाज में बोली , " क्या यार साक्षी बैठो कुछ देर ऐसी भी क्या जल्दी है हम सब भी घर ही चलेंगे ।" साक्षी बोली , " नही यार मुझे घर जाना है आज मैं बहुत थक गई हूँ तुम लोगों को अगर गप्पे मारना है तो मारो।" इतना कहकर साक्षी ने उससे हाथ छुडाया और आगे बढ गयी। वह दस कदम ही आगे बढी थी कि उसने देखा कि बगीचे के बगल में उसकी सहेली सुमन उसी लडके से हँस हँस कर बातें कर रही थी जिसे उसने कल क्लासरूम में अपने दोस्तों संग किसी लडकी का मजाक उडाते देखा था। साक्षी एक पल के लिए वहीं पर ठहर गई  । इतने में  ही उस लडके ने आगे बढकर सुमन को किस कर लिया और ताज्जुब की बात यह है कि सुमन अब भी हँस रही है। साक्षी को सारी कहानी समझने मे बिल्कुल भी देर नही लगी। वह समझ गई कि सुमन इसी लडके से प्यार करती है और  उसने कल उससे झूठ बोला था और वह लडका फोन को लाउडस्पीकर मोड पर रखकर अपने दोस्तों के बीच  जिस लडकी का तमाशा बना रहा था वह कोई और नही बल्कि सुमन ही थी।

चूंकि कल सुमन ने साक्षी से झूठ बोला था तो साक्षी को लगा कि शायद वह (सुमन) उसे  भरोसेमन्द सहेली नही समझती है ।इसीलिए सब कुछ देखकर और जानकर भी साक्षी ने सुमन से कुछ भी कहना उचित नही समझा। वह चुपचाप घर के लिए निकल पडी।

साक्षी के घर पहुँचने से पहले ही उसकी तारीफें उसके घर पहुँच चुकी थीं।  नेताजी ओ.पी. सिंह जी ने पहले से ही साक्षी के पापा को साक्षी के बेस्ट परफार्मेंस के बारे में फोन पर बता दिया है। इसलिए घर पहुँचते ही साक्षी के भाइयों और मम्मी पापा उसका जोरदार  स्वागत किया । यह सब देखकर तो साक्षी की खुशी दोगुनी हो गई।आज उसे सचमुच में लग रहा था कि वह कोई बडी हस्ती है।

साज़िशWhere stories live. Discover now