चैप्टर ९

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अगले कुछ दिन, माया को, इस सफ़र के एक नए मोड़ पर ले जाने वाले थे। उस दिन माया, विक्रांत और विशाल सब एक साथ कॉलेज में मिलने वाले थे। बीती रात जो हुआ था, माया के जहन में वो सब अभी भी चल रहा था। माया थोड़ी देर उस बारे में सोच कर दीप्ती को कॉल करती है। माया की कॉल सुनकर, दीप्ती माया के कमरे में आ जाती है।

कमरे में जब दीप्ती आती है तो देखती है कि माया अपने कमरे में यहां से वहां टहल रही थी। उसको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि वो किसी चीज को लेकर काफ़ी परेशान हो। माया, दीप्ती को देखती है और, उसे अपने पास खींचकर, गले लगा कर रोने लगती है। माया को यूं रोता देखकर दीप्ती भी थोड़ी परेशान हो जाती है। वो माया को चुप कराने की कोशिश करती है पर माया के आंसू नहीं रुकते।

दीप्ती- अरे! क्यों गूंगा-जमुना बहा रही है? बताएगी क्या हुआ है? चुप हो चल।

दीप्ती ये कहकर माया को अपना रुमाल पकड़ाती है और उसे शांत करा देती है। माया अपना मुंह पोंछकर अपना मुंह धोने चली जाती है। अपना मुंह धोने के बाद माया वापिस आ जाती है। कुछ दो मिनट चुप रहकर वो दीप्ती को जो कुछ पिछली रात हुआ उस बारे में सब कुछ बता देती है। माया की सारी बातें सुनकर दीप्ती के होश उड़ जातें हैं।

माया- यार! समझ ही नहीं आ रहा कि ये सब चल क्या रहा है?

दीप्ती- वो सब तो ठीक है। ये बता विशाल कैसा है?

माया- पता नही यार। मिलना तो आज ही होगा।

दीप्ती- हां, ये भी है। वैसे जहां तक कहानियों की मानें तो एक भेड़िए के काटने पर इंसान भी भेड़िया बन जाता है। यू नो एक नर भेड़िए के काटने पर।

माया- क्या सच में? अगर विशाल भेड़िया बन गया तो?

दीप्ती- देख अब तो अगली पूर्णिमा को ही सच का पता चलेगा। कहानियों की मानें तो।

माया- जब, अपारेंटली, श्राप अपने चरम पर होता है।

दीप्ती- पहले अनामिका, अब विक्रांत। अबे, यहां हमारे दोस्तों में कोई आम है भी के सबके पास अलौकिक शक्तियां हैं?

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