एक दौर था जब राते काट जाती थी तुमसे बात करने मे ....
और एक दौर यह है जिस्समय राते काट जाती है सिर्फ तुमसे बात करने की चाहत मई ...
तुम्हारी बताई हुई यादे मैंने अभी भी मेहफ़ूज़ रखी है..
मुझे आज भी याद है की तुम बचपन मई पिज़्ज़ा से एलर्जिक थी....
मुझे यह भी स्मरण है की तुम्हे दूध के साथ औरीयों क्यों नहीं पसंद क्युकी बचपन की ही तरह तुझे औरीयों का क्रीम चाट के वापस प्लेट मई रख देने की आदत आज भी है....क्या तुम्हे मिल गया मुझे कोई बेहतर...(२)
जो तुम्हे ठंडी के मूसम मई ठंडी ठंडी हवा के बेच गार्डन "Walk" के बहाने ले जाया करता है सिर्फ तुमसे बात करने के लिए....
क्या तुमने किसका हाथ थमा ही जैसे मेरा हाथ थमा करती थी ..
अपने छोटी उंगली से ...मै आज भी....
मै आज भी....लौट के वापस वोह बाग़ मै कभी नही गया क्युकी मुझे पता है अगर मै तुम्हारे हाथ थामे बिना बाग मै चला गया अकेले तो 'Rock, Monty, Titu' को क्या जवाब दूंगा मैई....
की आज सिर्फ मेरा अकेले क्यों आना हुआ......
और तुम्हे अगर याद न हो
यह वोही बाग़ के कुत्ते और बिलिया के नाम है जो तुमने मेरे साथ बहोत प्यार से रखे थे.....क्या तुम मिलगया मुझसे कोई बेहतर जिसकी प्रेम की कस्ती अँधियो को भी सेह सके.....
क्युकी हमारी कस्ती थो नहीं सेह पायी थी ना...एक बात बताना भूल गया था बोह बताना चाहुगा.....
की ईद के दिन तुम्हारा मेरे लिए इतना सच डच के आना और मेरा सिर्फ तुम्हारी आखो मै देकते जाने वाला पल मुझे आज भी याद है .....
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एक दौर था जब राते काट जाती थी तुमसे बात करने मे . ( I remember those nights.)
RandomThis is my first story which I wrote during this lockdown It's an emotional story ,it is based on the real life incident which took place years ago but it has a very special place in my heart.