इनसान के चरित्र को पहचानने वाली पारखी नजरें थीं विजय के पास. पर न जाने क्यों सुनयना की बातों पर वह विश्वास कर बैठा. असलियत क्या थी यह तो वह नहीं जानता था पर आज अपने को ठगा सा महसूस करने लगा था. पढि़ए, सुधा गुप्ता द्वारा लिखित कहानी.
इनसान के चरित्र को पहचानने वाली पारखी नजरें थीं विजय के पास. पर न जाने क्यों सुनयना की बातों पर वह विश्वास कर बैठा. असलियत क्या थी यह तो वह नहीं जानता था पर आज अपने को ठगा सा महसूस करने लगा था. पढि़ए, सुधा गुप्ता द्वारा लिखित कहानी.