कहानी बचपन की

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बचपन एक अलफाज़ है,
जीवन जीने का अंदाज़ है,
आँखों की गहराईयों मे,
एक सुनहरी याद्दाश है।

बचपन एक ऐसा समय है,
चर्चा करने का विषय है,
कितना भी प्रयास करू भुलाने की,
यादों से भरा मेरा हृदय है।

बचपन के कुछ राज़ हैं,
जिससे मन नाराज़ है,
खुदकी आँखों मे झाँक कर देखूं यदि,
दिखता मुझे यमराज है।

बचपन खुशी की खान है,
माँ-बाप के कई बलिदान है,
हमेशा उन्हें खुश रखुंगा क्योंकि,
वो ही मेरे भगवान है।

बचपन में की शैतानी है,
दादी-नानी से सुनी कहानी है,
कहाँ गऐ वो खुशनुमे पल,
इस बात की मुझे हेरानी है।

बचपन के कुछ मित्र है,
धुंधली सी एक चित्र है,
उनमें से कुछ याद करते हैं मुझे,
बाकी सभी विचित्र है।

बचपन की रिवायते है,
जो दिल पर ले लिए जाते हैं,
सोचता हूँ जब उनके बारे में,
वही बातें आत्मविष्वाश निचोड जाते है।

बचपन एक अंधा प्यार है,
सुकून भरे यादों का आधार है,
जब भी उन दिनो को याद करूं मैं,
जीवन में खुशियों का संचार है।

बचपन एक सुंदर पल है,
हमारा बीता हुआ कल है,
जीवन को यदि कीचड कहूँ तो,
उसमें खिला एकमात्र कमल है।

इस कविता का कोई अंत नही है,
परंतु समय हमारा अनंत नही है,
बचपन में उडने के ख्वाब थे कितने,
अब उन ख्वाबों की पूर्ति के लिए पंख नही है।।

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