इंतजार है,पड़ोस की बुढ़िया को ,फिर से गेंद के छत पर गिरने का
ताकि वो बच्चों को एक बार फिर से प्यार भरी ड़ांट लगा सकेइंतजार है, घर की लालटेन को जलती हुई बत्ती के बुझने का
ताकि वो एक बार फिर अपनी लौ से चेहरों को चमका सकेइंतजार है ,मेरी गली को एक बार फिर से कर्फ्यू के लगने का
ताकि फिर से बच्चे गली को अपनी क्रिकेट की पिच बना सकेइंतजार है,सड़क के गड्ढों को फिर से बारिश के पानी से भरने का
ताकि बच्चे, कागज की नाव को गड्ढे में समुंद्र समझकर चला सकेइंतजार है,स्कूल की रिक्शा को छुट्टी की घंटी के बजने का
ताकि बच्चे, फिर से अपने कंधों का बोझ उस पर चढ़ा सकेइंतजार है, साइकिल की चेन को एक बार फिर से उतरने का
ताकि प्रेमी फिर अपनी प्रेमिका की चुपके से झलक पा सकेइंतजार है,पाठ्यक्रम की कुंजी को डेटशीट के फिर से निकलने का
ताकि बच्चे उसे पढ़ सकें और अपनी जिंदगी सफल बना सकेइंतजार है, सड़क पर बैठी गाय को एक बार फिर से अपने पूजने का
ताकि अमावस पर तो वो कम से कम अपना पेट भर के खा सकेइंतजार है,मंदिर में लगे घंटे को एक बार फिर से जोर जोर से बजने का
ताकि वो पूजा करने आये लोगों का फिर से पूजा में ध्यान लगा सकेइंतजार है, गली में पड़े पत्थरों को फिर से गर्मियों की छुट्टियों का
ताकि बच्चे फिर से उनका पिट्ठू बना एक के ऊपर एक ,सजा सकेइंतजार है,छत की कढ़ियों को फिर से झम झम सावन के बरसने का
ताकि कोई फिर से उनमें झूला ड़ाल, ऊँचे झोंटों का सुख पा सकेइंतजार है, जिंदगी के इन हिस्सों को फिर से जिंदगी में जुड़ने का
ताकि वो सब मिलकर फिर से हमारी जिंदगी खुशनुमा बना सके
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BINABASA MO ANG
शायरी ,कविता, प्यार और कुछ जिंदगी
Poetryकुछ कविताएँ कुछ शायरी ,कुछ जिंदगी की बातें ,जिनको पढकर आप अच्छा महसूस करेंगे