भगवान के नाम पर इंसान अजीब-2 से गुल खिलाता है
जो मूर्ति बनाता है,कभी वो ही मंदिर में नहीं घुस पाता हैशरीफ़ आदमी तो दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगता है
पैसे वाला चोर,चढ़ावा देकर स्पेशल आरती कर आता हैमानता है भगवान समर्थ हैं, हम सबकी रक्षा करते हैं
फिर क्यों मंदिर में दानपात्र पर भी वो ताला लगाता हैकृष्ण सुदामा की दोस्ती की दुहाई हर वक्त देता है मगर
अपने दोस्त सिर्फ उनकी हैसियत देखकर बनाता हैनाग पंचमी में धूम धाम से वो नागों की पूजा करता है
और नाग घर में दर्शन देने आ जाए तो उसे भगाता हैभरत लक्ष्मण जैसे भाईयों की मिसाल देते हुए नहीं थकता
मगर जायदाद के बंटवारे में वो पूरा हिस्सा चाहता हैकहता है कि पत्नी की रक्षा का दायित्व पति का है पर
क्यों अपनी रक्षा के लिए करवा-चौथ का व्रत रखवाता हैअनुज
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शायरी ,कविता, प्यार और कुछ जिंदगी
Poetryकुछ कविताएँ कुछ शायरी ,कुछ जिंदगी की बातें ,जिनको पढकर आप अच्छा महसूस करेंगे