रास्ते कलम से

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अरसों बाद आज फिर से कलम उठाई है
दिल की गहराइयों की एक सतह नज़र आई है
उसकी स्याही कोरे कागज़ पर छाई है
उसमे मेरे किस्सों की छुपी परछाई है

कोरी सी दीवारों पर रंगों की छटा
कुछ थोड़ी थोड़ी नज़र आई है
रौशनी को जैसे एक दिशा
मुझ तक किसी तरह दिखलाई है

मेरी कलम ने आज फिर
शब्दों की झड़ी लगाई है
रास्तों को इस कलम से
जैसे मिली नए कदमों की थपाई है।

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