तेरी ग़ज़लों की गहराइयाँ नापी

145 11 4
                                    

तेरी ग़ज़लों की गहराइयाँ नापी
पढ़ते हुये लगा तनहाइयाँ बाटीं
गज़ब हुआ जब ग़मों को छंद मिला
खूबसूरती से तूने सच्चाइयां छापीं

रहगुज़र तेरा न मेरा रहा
पर ग़मों में दोनों ने ज़िन्दगी काटी
हैरां होंगे सब सुन के ये सिलसिला
के हमेे एक जैसा दर्द मिला

तूने क्या खूब पन्ना लिखा
बह गई स्याही जो उस सतह
पुलिंदों को बस तेरे कहा सुना
दिल की हर बात का आशना बना

जज़्बातों की खुशबू सी उड़ी
मुलाकातों की हमारे झड़ी लगी
चंद शब्दों का वो तराना बना
ग़ज़लों का तेरी नया अफसाना बना

गहराइयाँजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें