बरसात - एक लड़ाई

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कभी - कभी, लड़ाई का फल अच्छा भी हो सकता है ! ऐसी एक स्थिति का वर्णन है, इस कविता में !


यह नीला गगन कभी कभी 

काला हो जाता है |

हाथी - जैसे भयानक रूप के 

बादलों से भर जाता है |

तब युद्ध शुरू होता है 

धरती और आसमान के बीच , 

प्रकृति और दुनिया के बीच ,

बादलों और मनुष्य के बीच |

घनघोर नाद से आसमान 

बिजली की तलवार उठाता है |

अदृश्य धनुष से फिर वह

बूँदों के बान चलाता है |

मनुष्य तो भयभीत होकर

घर से नहीं निकलता है |

इस तरह जीत हमेशा

आसमान की होती है |

लेकिन उसके बाणों से

धरती प्यास बुझाती है |

सारी दुनिया , वृक्ष - लताएं 

इससे ज़िंदा रहती हैं |

प्रकृति हमेशा ऐसी है ,

सबका पालन करती है |

वो करती है लड़ाई

लेकिन वह भी है भलाई |

मेरी कवितायेंWhere stories live. Discover now