मैं मानव हूँ

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मेरी गली में भौंकते आवारा कुत्ते ,

चहलकदमी करते सूअर ,

रम्हाती बिन खूंटे की गायें ,

मुझे एहसास करा देती हैं  

कि मैं मानव हूँ।  

भाइयों से सम्पत्ति के बटवारे की लड़ाई ,

रामलाल से प्रमोशन का झगड़ा ,

ठेले वाले से सब्जी के मोल भाव की नोंक झोंक,

पल भर के लिए भूल जाता हूँ ,

दूर मंदिर में बजती घंटियाँ ,

मुझे याद दिला देती हैं ,

 कि मैं मानव हूँ।

मैं मानव हूँWhere stories live. Discover now