एक लड़का

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   एक लडका था अकेला सा रहता था खोया खोया सा ना जाने क्या करता था सबको अच्छा लगता था सबके साथ मिलकर रहता था फिर अकेला फिरता था कोई ना जाने क्या करता था।

   आवरा पागल दिवाना था फिर भी किसी को नही कहता था हर बार इतराता था फिर सबको अच्छा लगता था कोई ना जाने केसे रहता था सबको अच्छा कहता था फिर भी कईं को बुरा लगता था।।

   सारी तरफ उसके चर्चे रहते थे फिर भी कोई नही दिखलाता था स्कूल मे सबसे अलग रहता था फिर भी सारी तरफ उसके चर्चे रहते थे सारी तरफ मुस्कुरा कर फिरता था इसी कारण वो सबसे अलग दिखलाता था।।।

हिंदी कविताWhere stories live. Discover now