मीडिया में दलितों के आरक्षण मुद्दे पर बहस

375 11 1
                                    

भारत देश में आरक्षण के मुद्दे पर छिडी बहस राजनैतिक गलियारों से होती हुयी पहले ही सर्वोच्च न्यायालय की चौखट पर जा चुकी है। इस प्रकार लोकतंत्र के दो खंभें इस विषय पर पहले ही आपस में टकरा चुके हैं अब लोकतंत्र का चौथा खम्भा कहे जाने वाले मीडिया में भी आरक्षण के मुद्दे पर बहस होती नजर आने लगी है।

जाने माने सामाजिक विश्लेषक रॉबिन जेफ़री ने जब दिल्ली में राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यानमाला में भारतीय मीडिया में दलितों की स्थिति की चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मीडिया के प्रमुख 300 नीति निर्धारकों से दलित नदारद हैं.

प्रोफ़ेसर जेफ़री के अनुसार भारतीय संविधान में समानता और सौहार्द की जो भावना है वह तब तक पूरी हो सकती जब तक लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ में दलित वर्ग के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता. वह कहते हैं जब न्यूज़रूम में विविधता होगी तो वो विविधता समाचार माध्यमों के कवरेज में भी दिखेगी.

भारतीय मीडिया में दलितों की स्थितिजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें