किसी भी व्यक्ति या संगठन की असली परिक्षा विपरीतपरिस्थति में होती है. अब तक अन्ना या बाबा रामदेव का भ्रष्टाचार को लेकर किये जा रहे आंदोलनएक तरफा था. वो व्यवस्था पर तीखे वार किये जा रहे थे सरकार की तरफ से पलट वार ना होने से उनका होंसला बढता जा रहा था. सरकार कि तरफ से पलट वार होते ही नाजारा बदल गया मिडिया और वर्तमान व्यवस्था इन से सवाल करने लगी. अब इन को भी बहुत सारेसवालों का जबाब देना है. इनकी संस्थायें और कार्य इस देश में मोजूद कानून के घने जालमें फंसे नजर आ रहे है. इस व्यवस्था का चलाने का यही गूण मंत्र है अगर आप उनके साथहो तो आपके हजार खून माफ और विपरीत जाते ही आप पर बेशर्मी की हद तक जाकर आपको किसीभी धारा में धर लेगे. जिसे चाहे उसे वो कानून के जाल में फंसा सकते है. इस तरह काकार्य सभी सत्ता रूढ दलों ने किया है.यह सत्ता का अचूक हथियार हैइससे कुछ हो या ना हो पर उनके विरूध हो रहे आंदोलन की रफ्तार धीमी हो जाती हैक्योंकी उन्हे मजबूरन रक्षात्मक होना पडता है. और लोगों के बीच में संदेह गहरा होजाता है.
इसा बार भी पलटवार होते ही UPA और NDA का धुर्वीकरण साफ नजर आ रहाहै. एक बार फिर वो सब अपनी अपनी पार्टी और वोट को बचाने में लग गये है और इस सब केबीच असल मुद्दा फिर से वही का वही रह गया है. वेसे एक तरह से अच्छा ही हुआ जनता कोसमझ आ जायेगा की जिसे वो भ्र्ष्टाचार कहते है वो अपने आप में पूरी तरह विकसितवयव्स्था है जिसका फायदा हर राजनितिक दल ने उठाया है. यही उनकी पूंजी का मुख्यस्रोत है.
लोक पाल समर्थक सरकार में मोजूद भ्रष्टाचार की तो बत करते है पर कोर्परेट भ्रष्टाचार पर असाधारण चुप्पी साध लेते है. कोई हो जो इन कोर्परेट द्वारा की गई लूट को भी उजागर करे...जब उन्होने लाखो करोड रूपये मंत्रीयों और संत्रीयों को दे दिये. तो लूट का आलम क्या रहा होगा. किस स्तर की रही होगी सोचने वाली बात है! घूस लेने वाले का गुनाह तो सब को दिखाई दे रहा है पर घूस देने वाला किसी को दिखाई नहीं दे रहा है.
2014 मे होने वाले लोकसभा चुनाव मे राजनीतीक पार्टींयां 25000 करोड से भी ज्यादा धन खर्च करेगी ...अब आप ही बताइये ये धन वो कहा से लाये..??? इस देश मे जन आंदोलन चलाना एक बात है और लोकतंत्र में पूर्ण बहूमत हासिल कर सरकार बनाना दूसरी बात है..
लोकतेंत्र में चुनाव एक तरह से कलयुगी धर्म युद्ध है . हां यह युद्ध ही तो है जो सत्ताऔर कुर्सी के लिये हमारे नेता लडते रहते है. बस इस युद्ध में हथियार अलग हो गये है. धर्म युद्ध मे राजा युद्ध में हारे राज्यों की संपत्ति लूट कर युद्ध और एयाशी के लिये धन जमा करता था. आज हमारे राजनेता इसे भर्ष्टाचार जेसे तरीकों से जमा करते है.
हम आभारी है की आप दोनों के जिसके कारण यह देश सोचने पर मजबूर है...उम्मीद है अपका यह आंदोलन लाखों करोडो अन्ना और राम देव पैदा करेगा और एसी व्यवस्था लाने मे मदद करेगा जो इस देश के आम आदमी को मजबूत बनाये. और लोकतेंत्र में चुनाव व्यक्ति का ना होकर मुद्दों और पालसी का हो.
दुर्वेश
webmanthan.blogspot.com