आख़िर कब ख़त्म होंगे ये सपने

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रात का समय, कुछ बहुत तेज आंधी चल रही थी पेड़ पौधों की सरसराहट की आवाज से मानो पूरा जंगल काफ़ी डरावना बन गया था। समय हो रहा था कुछ 12 बज कर 30 मिनट के आस पास।
            तभी एक लड़की की आवाज आती है
            मुझे लगता है अभी यह समय अंदर जाने का बिल्कुल ठीक है
            तभी उस लड़की के बगल में खड़े हुए एक 70-80 साल के संत बोलते हैं
            हां तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो हमें इस समय अंदर चले जाना चाहिए
            तभी वो लड़की अपने बगल में खड़े लड़के से कहती है
            चलो अंदर जाने का समय आ चुका है
            लड़का भी लड़की के सामने अपना सर झुकाते हुए बोलता है हां तुम बिल्कुल ठीक बोल रही हो हमें अंदर चले जाना चाहिए अगर आज नहीं गए तो अनर्थ हो जाएगा
            लड़की भी हमें सिर हिलाती है
            तभी वह संत बोलते हैं सुनो बेटा तुम दोनों इस पत्थर में हाथ रख दो
            तभी वह दोनों लड़का लड़की उस गुफा के सामने पत्थर पर अपना हाथ रख देते हैं तभी हम देखते हैं कि उस गुफा का दरवाजा अपने आप खुल जाता है
            तभी वह लड़की बोलती है गुरु जी मैं आपसे कुछ पूछना चाहती थी
            उसके गुरु बोलते हैं ठीक है बेटा अभी तो समय नहीं है मगर फिर भी तुम बताओ तुम्हें क्या परेशानी है
            लड़की बोलती है वह लड़की बोलती है
            हम दोनों में ऐसी कौन सी शक्तियां हैं जिसने इस दरवाजे को खोल दिया
            तभी वह संत मुस्कुराते हुए बोलते हैं
            बेटा आज तुम दोनों का मिलन लिखा हुआ है तभी आज ही दरवाजा भी खुल गया है तुम दोनों को ईश्वर द्वारा दी गई परम शक्तियां समिलित होने वाली है, जिसमें सबकी भलाई लिखी हुई हैं, तुम दोनों का जन्म ही ऐसे काल में हुआ है जहां सिर्फ़ धर्म है वहां अधर्म का कहीं से कहीं तक नामोनिशान नहीं है।
   वह लड़की बोलती है;
        "पर गुरु जी कैसे?"
        "आपको कैसे पता ये सब"
        तभी वह संत बोलते हैं;
   "अगर हम दोनों यहीं सारे सवाल कर लेंगे तो अंदर यज्ञ कौन करेगा"
   तभी वह लड़का बोलता है
     "चलिए गुरु जी इसके तो सवाल ही खत्म नहीं होंगे"
       लड़के की बात सुनकर वो संत मुस्कुराने लगते है और बोलते हैं;
        "हां! अंदर चलो"
    वह तीनों जैसे ही गुफा के अंदर जाते हैं वह दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है।
      गुफा के अंदर आते ही वह लड़का जो संत के साथ अंदर आया हुआ था यज्ञ की सामग्री अपने हाथों से कुछ मंत्र पढ़कर प्रकट कर देता हैं और यज्ञ करने लग जाता है उसके साथ वहां पर उसके गुरुजी भी बैठ जाते हैं।
      तभी वह संत उस लड़की की तरफ इशारा करते हुए बोलते हैं;
       "तनीक्षा अपनी आधी शक्तियां इस यज्ञ में डालो"
      वह लड़की जिसका नाम तनीक्षा होता है अपनी आधी से ज्यादा शक्तियां उस यज्ञ में डाल देती है तभी वह लड़का भी अपनी कुछ शक्तियां उस यज्ञ में डाल देता है।
     "गुरु जी क्या आज ही यज्ञ संपूर्ण हो जाएगा"
    वह लड़की अपने गुरु जी से पूछती है;
    गुरु जी बोलते हैं;
      "अगर आज कोई परेशानी नहीं हुई तो"
       "मेरा मतलब है कि अगर आज कोई बुरी शक्ति नहीं आई तो आज यह यज्ञ संपूर्ण हो जाएगा"
        "और तुम दोनों हमेशा हमेशा के लिए एक साथ हो जाओगे जैसे ही तुम दोनों एक साथ हो गए वैसे ही तुम दोनों के मेल से अदबुद्घ शक्तियां मिलेंगी। जिसमें तुम्हें अधिक और और शौर्य को तुम से कुछ कम शक्तियां मिलेंगी।"
        तभी वह लड़का शौर्य बोलता है;
        "मगर गुरुजी ऐसा क्यों"
       गुरुजी मुस्कुराते हुए बोलते हैं;
      "तुम ऐसा मत समझो कि तुम्हें तनीक्षा से कम शक्तियां मिलेंगी"
       "तनीक्षा भी अपनी उन मिली हुई शक्तियों का तभी इस्तेमाल कर सकेगी जब तुम रिधिमा के साथ रहोगे"
       सॉरी बोलता है मतलब गुरुजी मैं समझा नहीं
       समझाते हुए बोलते हैं;
       "मेरा मतलब है यह शक्तियां तभी जागृत होंगी जब जब तुम दोनों एक दूसरे के साथ रहोगे मतलब जब तुम दोनों का मिलन हो जाएगा"
       तभी शौर्य बोलता है;
       "समझ गया गुरु जी आप क्या कहना चाहते हैं।"
       गुरुजी बोलते है;
       "शौर्य तुम जल्दी से अब यज्ञ करना शुरू करो"
       "और तनीक्षा तुम उन बुरी शक्तियों को इस यज्ञ से दूर रखना"
       "ठीक है गुरुजी आप चिंता मत करिए कोई भी बुरी शक्ति इस यज्ञ को नुक़सान नहीं पहुंचा पाएगी।"
       तनीक्षा अपना सिर गुरुजी के सामने झुकाकर कहेती है।
      (यज्ञ को शुरु हुए कुछ समय ही हुए था कि तभी वहां पर एक और लड़की प्रकट होती है, उस लड़की के आते ही गुरु अपनी जगह से उठ जाते हैं और उस लड़की से बोलते हैं;)
        प्रिया तुम यहां क्या कर रही हो?
     वो लड़की बोलती है
     "अरे गुरु जी आप तो मुझे भूल गए इन शक्तियों में इन दोनों से ज्यादा मेरा हक है"
      "और मैं भी तो इन शक्तियों से प्यार करती हूं"
       "तो आप इन शक्तियों को तनीक्षा को नहीं दे सकते हो"
        तभी गुरु जी सख्त होते हुए बोलते हैं;
   "प्रिया मैं तुम्हें मैंने अपने आश्रम से और अपनी शिक्षा से बहुत दूर कर चुका हूं"
   "तुम्हें यह शक्तियां नहीं मिल सकती"
   "यह बुरी शक्तियां नहीं है"
   
            तभी प्रिया हंसते हुए बोलती है;
   "नहीं गुरु जी आप गलत सोच रहे हैं"
   "आज मैं आपसे कोई भीख मांगने नहीं आई हूं"
    "मैं अपना हक लेने यहां प्रकट हुई हूं"
    "इन परम शक्तियों में मेरा हक है ना कि इन दोनों का अकेले"
    "मेरे होते हुए इन दोनों को यह शक्तियां नहीं मिल सकती"
    अपने हाथों से अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके अपने गुरु जी को पीछे की ओर धक्का दे देती है।
    अचानक हुए इस हमले से गुरुजी संभाल नहीं पाते है और वहीं पत्थर में जा कर टकरा जाते हैं।
    यह देखकर तनीक्षा को बहुत गुस्सा आता है वह गुस्से में बोलती है;
     "प्रिया तुम यह क्या कर रही हो यह हमारे गुरु है"
      "तुम इस तरह हमारे गुरु को चोट नहीं पहुंचा सकती हो"
     तभी प्रिया का ध्यान तनीक्षा की तरफ जाता है, वो रिधिमा की तरफ अपना चेहरा घुमा कर बोलती है
     "शायद तनीक्षा तुम भूल चुकी हो अभी अभी तुमने उस यज्ञ को पूरा करने के लिए अपनी शक्तियां दी है इस समय तुम मेरे साथ बहस करने लायक भी नहीं हो।"
    
     तभी तनीक्षा बोलती है;
     "तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया मैंने यज्ञ में अपनी आधी शक्ति ही दी है"
     "अभी भी मैं तुम से लड़ सकती हूं।"
     "तुम शायद भूल चुकी हो मुझे जन्म से ही कुछ शक्तियां मिली हुई है मैं उनका इस्तेमाल कर सकती हूं तुम्हें हराने में।"
    तनीक्षा की बात सुनकर प्रिया बहुत तेज तेज हंसते हुए बोलती है
    "अच्छा तुम मुझे हरा सकती हो"
     "चलो आज तुम्हें ही यहां से हटा देती हूं"
      "अच्छा ही है"
       "अगर मैंने तुम्हें हटा दिया तो मेरी बराबरी का कोई बचेगा ही नहीं और इस दुनिया में राज करने से मुझे कोई रोक भी नहीं पाएगा।"
    (तभी प्रिया अपने हाथों से एक बिजली सी चमकती हुई रेखा अपने और तनीक्षा के बीच में खीच देती है)
     और बोलती है
     "चलो आ जाओ इस घेरे में और कर लो युद्ध।"
    "अगर आज मैंने तुम्हें छोड़ दिया तो मुझे भी अपने इन शक्तियों पर नाज नहीं हो पाएगा।"
    "चलो आज बहुत समय बाद किसी और की शक्तियां भी मेरे शरीर के अंदर समाहित हो जाएंगी जो मुझे तुम्हें आज मार कर मिलेगी तनीक्षा ।"
    प्रिया हंसते-हंसते तनीक्षा को ललकारते हुए कहती है।
   (तभी एक आवाज़ आती है तनु जल्दी उठ कॉलेज नहीं जाना है क्या)
   इस आवाज़ से बेड में लेती हुई लड़की की नींद उठ जाती हैं और अपने सामने बैठी अपनी दोस्त को देखकर बोलती है;
   "अरे यार ये सपने मेरा पीछे क्यों नहीं छोड़ते है"
   वो लड़की बोलती है;
   "फिर से आया क्या वो सपना"
   बेड में लेती हुई लड़की बेड पर बैठते हुए बोलती है;
   "यार ख़ुशी मुझे डर लगता हैं हर रोज कहीं इन powers कि वजह से तुझे कभी कोई परेशानी ना हो जाए"
   ख़ुशी तुरंत बोलती है;
   "मुझे पता है तू मुझे कुछ नहीं होने देगी"
   "अच्छा तूने क्या आज पूरा सपना देखा क्या"
   तनीक्षा ना में सिर हिलाते हुए बोलती है;
   "यार आज भी नहीं"

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⏰ Last updated: Aug 21, 2023 ⏰

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