नज़रों की असमंजस......

7 0 0
                                    

अभी कुछ २ हफ्ते पहले की ही तो बात है, सुनैना ख़ुशी से हमारे घर काम करने आया करती थी। आजकल उसकी वो ख़ुशी, वो मुस्कुराहट, वो काम करने की लगन साफ़-साफ़ काम दिखने लगी थी। ऐसा नहीं है की मैं सिर्फ पौंछा लगाने वाली की इन बातों पर ध्यान रखता था, बस बात कुछ ऐसी है की वो मेरी माँ से और दीदी से बहुत बातें करा करती थी, जो अब मुझे सुनाई देना बंद हो गया था। कुछ चीज़े आँखों से भी बयां की जा सकती हैं, यहाँ भी कुछ ऐसा ही था। दरअसल ये सिर्फ सुनैना के साथ ही नहीं, बल्कि पिछली गली के रहने वाले पुष्कर जी के साथ भी हो रहा है, और उनकी भी आँखों में वो चमक नहीं नज़र आती जो २ हफ्ते पहले मुझसे बात करते हुए आया करती थी। पर मसला ये है की इन दोनों की ये कहानी एक साथ जुड़ी हुई है, क्योंकि सुनैना उनके यहाँ भी तो सफाई करने जाया करती थी। वहां पर शायद उसके साथ वो ढंका सुलूक नहीं होता था। पुष्कर जी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं, पर उनकी धर्मपत्नी प्रेमा जी शायद उतनी उच्च व्यक्तित्व धारी नहीं हैं। और यही कारण है की पुष्कर जी थोड़े गुमसुम से रहते है। वैसे तो प्रेमा जी मुझे बहुत अच्छे से नाश्ता, खाना, कॉफी, इत्यादि खिलाती-पिलाती रहती हैं, पर उनमें बस एक कमी है, की वो खुद दूसरों में से भी चयनित लोगों को ही सम्मान देती हैं, बाकियों को बस अपमान। कभी भी सुनैना को डांटने से नहीं रुकती, पूरे दिन उसे बस ताने सुनती रहती हैं, यहाँ तक उसे कई बार तो तनख्वाह भी कम दे दिया करती हैं। एक दिन तो उन्होंने हद ही कर दी, जब सुनैना से गलती से एक कांच का गिलास गिर कर टूट गया, और इसी बात पर उन्होंने सुनैना से झगड़ा कर लिया, यहाँ तक की उसे घर से जाने को और नौकरी छोड़ने को भी कह दिया, उसके रंग रूप की बात तक कर दी, और ये सब तो कुछ भी नहीं था, "गेट आउट" भी कह दिया। बेचारी अब सिर्फ २ घरो में ही काम करती है - एक तो हमारा और एक सामने वालों का। पर साथ में पुष्कर जी, जो कभी कुछ नहीं कहते थे, वो भी आज ग़ुस्से में अपनी खुदकी पत्नी को उनकी इस गलती के लिए डांटने लग गए थे, पर प्रेमा जी को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था, सिर्फ ग़ुस्सा ही ग़ुस्सा आया जा रहा था। इस मामूली सी लड़ाई को प्रेमा जी ने खुदके ईमान पर ले लिया, और ग़ुस्से में पुष्कर जी से झगड़ा कर के खुदके मायके चले गयी, और साथ में शादी तोड़ने की धमकी भी दे गयी हैं। आज ही पुष्कर जी से बात कर के आया हूँ, बेचारे वो भी एक असमंजस में हैं, क्योंकि न तो किसी बेक़सूर और बेचारे की बेज़्ज़ती होने दे सकते थे, और न ही वो खुदकी बीवी से दूर रह सकते थे। छोटी सी बात इतनी बड़ी कैसे बनी, ये सब बताने लगा तो पूरी किताब लिखते हुए भर जाएगी, पर सच में प्रेमा जी ने हर किसी को असमंजस में डाल दिया है। वो बीवी जिसके साथ पुष्कर जी को २८ साल हो गए, उससे रिश्ता तोड़ने तक की बात? कैसे? मुझसे विचार-विमर्श करते हुए भी पुष्कर जी रो पड़े, पर मैं भी उन्हें सहानुभूति देने की सिवाय क्या ही सलाह दे सकता हूँ? इस ओर सुनैना अजीब और गुमसुम सी हो चुकी है, और उस ओर पुष्कर जी खुदकी शादी बचाने में लगे हुए हैं। अब ज़्यादातर पुष्कर जी और सुनैना दोनों मौन स्थिति में रहते हैं, पर एक चीज़ तो पक्की हैं, नज़रों से भी मुझे ऐसी बातें पता चल रही हैं जो लफ़्ज़ों में शायद बयां करी न जा पाएं..............

🎉 आपने नज़रों की असमंजस को पढ़ लिया है 🎉
नज़रों की असमंजसजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें