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बस इतनी सी इल्तिज़ा है ख़ुदा से,
जो तुझे मिले वो हम बनेतुझे गम मिले, हम गम बने
हर ख़ुशी हर सितम बनेतेरे शहर बने, तेरे शाम बने
तुझे हो नशा हम ज़ाम बनेतेरे तालीम की हम कलाम बने
तेरे भीड़ की हर आवाम बनेतेरे दर्दों का हम बाम बने
तेरी झुके निगाह हम सलाम बनेतेरी हर खुशी का हम दाम बने
तू तआ'रूफ दे, हम नाम बनेजो तुझे मिले वो हम बने....
Aria
तआ'रूफ(Introduction)
कलाम (script)
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Poetryकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...