ये महर-ओ-मह-ओ-नुजुम सब तुम्हारे लिए
बता तूने क्या किया हमारे लिए?ये बाग-ओ-बगीचे, ये घर-ओ-दरीचे
ये जमीं-ओ-अंबर, ये दरिया-ओ-समंदरमहफिलों का हर शोर हर हुजूम सब तुम्हारे लिए
बता तूने क्या किया हमारे लिए?गुल्सितान-ए-शफक, हर गुल की अरक
चीनी की रमक पे चांदी का वरकशबनमी रूतों का हर सुकून सब तुम्हारे लिए
बता तूने क्या किया हमारे लिए?ये रविश-ए-इश्क ओ सहुर-ए-मोहब्बत
मेरे इश्क की इबारत की ना दास्तां-ए-हदकायनात की हर खुशी हर तबस्सुम तुम्हारे लिए
बता तूने क्या किया हमारे लिए
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तसव्वुर (Urdu Poetry)
Poetryकिस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इ...