रात भर

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एक शमां ताक पर, जलता रहा रात भर
एक चांद आसमां में चमकता रहा रात भर

हुजूम-ए-अंजूम से भरे इस कहकशे में
तन्हा चांद आसमां में तड़पता रहा रात भर

सियाह रात के अंधेरों से खलिश नहीं पर
इंतज़ार-ए-शफ़क में दिल मचलता रहा रात भर

सुर्खरू चांद की चांदनी सरे कायनात में फिर भी
ख़्वाब चराग-ए-महर से ही क्यूं भरता रहा रात भर

मुकद्दर के अंधेरे से ज़मीनी शफ़क का सफर
ख़्वाब के फ़सानो में बदलता रहा रात भर

Aria

तसव्वुर (Urdu Poetry)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें