सविता ने पूरी उम्र अपनी गृहस्थी की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाई थी. कर्तव्यों की राह में कभी उस ने अपने अहं को आड़े नहीं आने दिया. फिर भी चूक कहां हुई जो आज उस की बहू दिव्या ने उसे कठघरे में खड़ा कर दिया?
सविता ने पूरी उम्र अपनी गृहस्थी की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाई थी. कर्तव्यों की राह में कभी उस ने अपने अहं को आड़े नहीं आने दिया. फिर भी चूक कहां हुई जो आज उस की बहू दिव्या ने उसे कठघरे में खड़ा कर दिया?