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देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रहAshutosh Mishra द्वारा
रचना - देख तमाशा
लेखक - आशुतोष मिश्रा
देख तमाशा दरअसल दिल की डाइयरी जैसी है! जो अच्छा लगा, लिख दिया! ज़्यादा कुछ सोचा नहीं! यहाँ आपको लघु कथायें, विचार, कुछ कवित...
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तख़्त का मज़ेदार तमाशाHimanshu Shrivastava द्वारा
तख़्त जिसके लिए तमाम तमाशे किये जाते हैं। लोगों को लड़वाया जाता है जिससे कि तख़्त कायम राह सके। इसी बात को पढ़िये इस व्यंग्य में।
पूर्ण
#3
हजारों रंग हैं दुनिया में पर कुछ...sumit sharma द्वारा
हजारों रंग हैं दुनिया में
पर कुछ रंगों में रंग भरना अभी बाकी है।
यूँ तो मेरा देश बढ रहा है,
कुछ नाकारात्मक विचारों को मिटाना अभी बाकी है।।
This poem is basically insinu...
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चरित्रहीनDeepakTalab द्वारा
इस कहानी में चरित्रहीनता का एक ऐसा आयाम आपके सामने है जिसे हमे कभी चरित्रहीनता समझा ही नहीं। इसलिए ये कहानी एक सवाल भी उठाती है।
"चरित्रहीन" कहानी मूल कहानी स...
पूर्ण
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विडम्बना का जग Adarsh Brahmachari द्वारा
रीत मैं सेहमे,
प्रीत के भय में ।
क्यों हम ना बहते,
क्यों कुछ ना हम कहते ।
काल्पनिकता के चेते ,
क्यों आलोकिक्ता के भय में।
स्वतंत्रता का जग यह,
विडम्बना इसे कहते ,
सब एक...
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मान गए भई पलटूराम Ajay Amitabh Suman द्वारा
इस सृष्टि में बदलाहटपन स्वाभाविक है। लेकिन इस बदलाहटपन में भी एक नियमितता है। एक नियत समय पर हीं दिन आता है, रात होती है। एक नियत समय पर हीं मौसम बदलते हैं। क्या हो अगर...
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दिल की सुनने वालेविधि द्वारा
व्यंग्य संकलन
(इस संकलन में शामिल रचनाएं देश की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के ऊपर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करती हैं. इनका किसी धर्म, संप्रदाय, व्यक्ति, घटनाक्रम से लेना द...
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ब्रांडिंग का दौरSumit Singh द्वारा
दिखावे के दौर में खत्म होते रिश्ते। प्रयास किया है व्यंग करने का इस छोटे से किस्से से।