मैं जो नाम लेना छोड़ चुका था,
ये चांद उसका नाम मुझे
चीख चीख के सुना रहा है।
मैं कितनी आगे आ खड़ा हु आज,
ये मुझे बीता ज़माना याद दिला रहा है।वो जो मुझे पहले ही नज़र नहीं आया करती थी,
जिसकी झलक को मैं बारिशों मे भीगा हू,
वो जिसका घर मुझे अब नज़र नहीं आता,
कुछ इमारतें बन खाड़ी हुयी है हमारे बीच,
ये मुझे उसकी याद दिलाने पर तुला है।ये चांद,
अपनी, मेरी और अंधेरे की दोस्ती याद कराता है
कहानी सुनाता है मुझे।
ये कह रहा है उसके घर से बहती हवाएँ अब भी पहचानती है मुझे ।
मैं यकीन भी कर लेता एक पल को
मगर बात उस सड़क की है जो मुसाफ़िर नहीं मानती मुझे ।
एक एक कर के
मेरी की हुई हर नादानी सुना रहा है,
ये चांद अब मुझसे दुश्मनी निभा रहा है।
DU LÄSER
कब्र - यहाँ शब्द, ज़ज्बात और ख़्वाब दफन है।
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