ये कैसी है मोहब्बत

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 याद तुम बहुत आती हो
ये कैसी है मुहब्बत;
दिन को सुकून नही
रातों को भी चैन नही
क्या ऐसी ही होती है ये मुहब्बत।
दिल में बस गई हो ऐसे
कि बस फ़िक्र रहती है तुम्हारी,
गर कहना चाहूँ कोई अल्फाज
तो हर अल्फाज में जिक्र होती है तुम्हारी।
लबों पर नाम रहता है नाम तुम्हारा;
और जहन में सिर्फ आता है ख्याल तुम्हारा,
क्या ऐसी ही होती है ये मोहब्बत।
ये कैसी है मोहब्बत
सिर्फ तुमसे और सिर्फ तुमसे ही है ये मोहब्बत।  

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