तभी उसने एक जोर का धक्का मारा, मैं अभी तक ‘आह … ओह्ह …’ कर ही रही थी तभी मेरी आवाज आआइई में बदल गयी अब जाकर उसका पूरा लिंग घुसा था और मेरी बच्चेदानी मानो सुपारे से दब गई हो, मुझे ऐसा महसूस हुआ।
पर मेरी इस पीड़ा से उसे कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि अगले ही पल उसने हौले हौले लिंग मेरी योनि में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं कुछ देर तो दर्द से वैसे ही कराहती रही, पर कुछ क्षणों के बाद उसके धक्कों से मुझे राहत सी मिलनी शुरू हो गयी और अब अच्छा लगने लगा था।
करीबन 10 मिनट तक वो उसी धीमी गति से धक्के मारते हुए संभोग करता रहा।
मुझे लगा था कि जिस प्रकार से वो उत्तेजित था, दस मिनट में ही झड़ जाएगा। मगर अब ऐसा लगने लगा था कि ये संभोग का दौर लंबा चलेगा अब उसकी उत्तेजना में भी वृद्धि दिख रही थी और कमर भी तेज चलने लगी थी।

इधर मेरी योनि ने भी सब स्वीकार लिया था और अपना रस छोड़ते हुए अपनी स्वीकृति दे दी मैं अब भी कराह रही थी मगर अब ये आनन्द की कराह थी मेरी मादक सिस्कारियां अब उसे और तेज होने का न्यौता दे रही थीं … उसे खुल कर संभोग करने की बात कह रही थीं।
मैं अपनी बांहों में उसे पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी और जांघें और चौड़ी करने लगी वो भी मेरी मस्ती से समझ गया था कि अब मैं विरोध नहीं बल्कि साथ दूंगी, इसलिए उसने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया और धक्के मारते हुए मेरे स्तनों को बारी बारी से चूसने लगा।
मैं भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी, जिसके वजह से उसे अपना दूध पिलाने में सहयोग करने लगी साथ ही मैं अब उसके सिर को सहलाती, तो कभी टांगों से उसकी जांघों को जकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए चूतड़ों को उठा देती।
अब हम दोनों आनन्द में खो गए थे और हमारा लक्ष्य केवल चरमसुख पाना था हम दोनों का बदन गर्म होकर अब पसीना छोड़ने लगा था और वो हांफता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा।

मेरी भी स्थिति अब ये थी कि मैं चूमने में उसका खुल कर साथ दे रही थी हम दोनों धक्कों के साथ एक दूसरे के होंठों को चूसते, जुबान को चूसते, एक दूसरे के मुँह से निकलती लार को पीते इस बीच वो दोनों हाथों से मेरे बड़े-बड़े स्तनों को दबाता रहता. मुझे दर्द तो होता … मगर मजा भी आ रहा था. ठीक इसी तरह वो एक लय में धक्के मारता और फिर जोर जोर के 3-4 टापें मार कर फिर वापस उसी लय में धक्के मारने लगता।

मित्रसुख (Completed)Where stories live. Discover now