अब हम दोनों की ये बात पक्की हुई और वो अपने घर चला गया मैं भी खाना खाने और बाकी कामों में लग गई।
रात को साढ़े ग्यारह बजे मैं अपने कमरे में आई और नहाने चली गयी। जब नहा कर बाहर निकली तो मैंने अपनी अल्मारी खोली और सोचने लगी कि क्या पहन लूं, जिससे लौंडा सीधा मेरे ऊपर चढ़ जाए.
तभी मुझे एक हल्के रंग की बहुत छोटी स्कर्ट सी दिखी, जिसको मैंने ऊपर करके पहन लिया.इससे मेरी गांड की लकीर पीछे से दिखने लगी. अभी भी वो स्कर्ट मेरी कमर की हड्डी पर टिकी थी.
ऊपर मैंने एक बहुत ही ज़्यादा ढीला शॉर्ट पहना ये टॉप मेरे आधे पेट के ऊपर तक का था टॉप इतना ढीला था कि मुझे उस टी-शर्ट का कंधा अपने कंधे से नीचे करना पड़ा इससे मेरे मम्मों का नजारा अच्छा खासा दिखने लगा उसका गला काफी बड़ा था जरा सा झुकने पर मेरे दूध तो दिखते ही थे, बल्कि मेरा पूरा पेट भी खुला दिख जाता था।

मैं ये कपड़े पहन कर उसका इंतज़ार करने लगी.
ठीक बारह बजे उसकी कॉल आयी, तो मैंने खिड़की खोल दी वो बाहर खड़ा था अब मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको अन्दर खींचा और खिड़की बंद कर दी।
अन्दर आते ही उसकी नज़र जैसे ही मुझपर पड़ी, तो मानो उसको करंट लग गया हो, वो एकटक मुझे देखता ही रह गया।
मैंने उसका ध्यान हटाने के लिए उसको हिलाया और बोला- कहां खो गए?

वो एकदम से सकपका गया और बोला- अरे नहीं … बस वो ऐसे ही!
वो भी एक टी-शर्ट और लम्बा बरमूडा सा पहन कर आया था.

मैं उसके बगल बैठ गयी और वो उस गेम पबजी को देखने लगा। गेम डाउनलोड हो गया था वो उसे चलाने लगा।
गेम चल जाने के बाद एक बार उसने मुझे खेल कर दिखाया और मुझे उसके बारे में समझा कर मुझसे खेलने के लिए कहा।

वो कुर्सी से उठ गया और मुझे अपनी जगह पर बिठा दिया।
मैंने भी खेलना शुरू कर दिया।

मेरे साथ दिक्कत ये होने लगी कि मैं की-बोर्ड और माउस और सारा ध्यान सामने एक साथ तीनों चीजों पर नहीं कर पा रही थी, इसी लिए मैं जल्दी ही हार गई।

वो हंसने लगा और उसने मुझे हटाकर फिर से गेम चालू कर दिया।

वो मुझे समझाने लगा तो मैंने उसको बोला- रुको, इस तरह से मुझे समझ नहीं आएगा

मैंने उसका एक हाथ उठाया और सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गयी।

यूं एकदम से इस तरह से बैठने से उसकी वासना में बाढ़ सी आ गयी वो सनसनी से भर गया.
उसका लंड हरकत करने लगा जो मुझे मेरी गांड में गड़ता सा महसूस होने लगा।

मैं दोनों चीज़ों को संभालने लगी, एक उसके लंड को और दूसरे माउस को। जहां मुझसे गलती होती, तो वो मेरे हाथों पर अपना हाथ रख कर बताता।
इस बताने के चक्कर में उसका लंड भी टाइट होने लगा और मैं इन सब बातों को जानते हुए भी अनजान बन कर उसके लौड़े पर बैठी रही।

वो अब कभी अपने हाथ मेरी नंगी जांघ पर रखता और कभी मेरे हाथों को पकड़ता। कुछ देर बाद वो मुझे आगे से मेरे पेट पर हाथ रख कर भी पकड़ने लगा और कभी मेरी नंगी कमर पर अपना हाथ ले जाने लगा।

मैं भी उसको इसी तरह मज़ा देते हुए खेलती रही।
जब भी मैं एक यूनिट किल करती, तो खुशी से हल्का से उछल जाती. जिसकी वजह से उसका लंड एकदम कांप सा जाता.

वो बार बार मुझसे बोलता- दीदी, अब मत उछलना

मैं उसकी बात कहां मानने वाली थी।

इसी वजह से उसने मुझे मेरी कमर के थोड़ा ऊपर से पकड़ा और गोटी मारने का इंतजार करने लगा।
जैसे ही मैं उचकी, तो उसने मेरे कमर के उस हिस्से को कसके पकड़ लिया।
इससे हुआ ये कि मेरे उछलने की वजह से उसका हाथ ऊपर हो जाता। वो भी मेरे बदन की मुलायमियत से रूबरू होता चला गया और अपना हाथ मेरे मम्मों की तरफ ले जाने लगा।

धीरे धीरे उसका हाथ मेरे टॉप में घुस गया और एकदम मेरी चुचियों के पास छूने लगा। मैं भी उसके हाथ को महसूस करके मज़ा लेने लगी।

अब मैं जानबूझ कर बार बार उचकने लगी।
उसने भी हिम्मत करके तेजी से एक बार मेरी चूची को पकड़ कर दबा दिया। उसने सोचा होगा कि शायद मैं रुक जाऊंगी।

लेकिन उसकी इस हरकत से मुझे और ज्यादा मज़ा आया। अब मैं और जोर से उचकने लगी.
उसने अपने दोनों हाथों में मेरी दोनों चुचियों को ले लिया और मसलने लगा।

कुछ देर में मैंने भी कंप्यूटर बंद कर दिया और सीधा साधा खेल अब चुदाई के खेल में बदल गया।

मदमस्त जवानी(Completed)Dove le storie prendono vita. Scoprilo ora