Hindi Poem!

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दुनिया कहे—
मैं राधे को दास
कहे की शरण दे मुझको,
दे प्रेम, दे कृष्ण का साथ।

पर राधे कहे—
कौन होती हूं मै कुछ देने वाली,
मैं खुद ही हूं एक दासी,
भटक रही हु वन में यूंही
एक भंवरे की भांति।

ढूंढती हूं उस श्याम को यह वहां,
पर मिले न मुझको वो कहीं,
आपको पता हो तो बताओ,
कहा छुपा है वो, खतम होने को आई ये रात्रि।

ढूंढती हूं उस श्याम को यह वहां,पर मिले न मुझको वो कहीं,आपको पता हो तो बताओ,कहा छुपा है वो, खतम होने को आई ये रात्रि।

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LālasāmayīDonde viven las historias. Descúbrelo ahora