"खाना खाले भाई!..." रात को लॉक अप में एक सिपाही ने खाना अंदर सरकाते हुए बोला और चला गया। मैं, उस हवालात में, पुलिस की हिरासत में अभी तक यह समझ नहीं पा रहा था कि मेरी ग़लती क्या थी?
इन कुछ दिनों में सबकुछ इतना जल्दी हुआ कि मुझे संभलने का मौका ही नहीं मिला। माया मेरी जिंदगी का पहला और आखिरी प्यार थी, उसके चेहरे पर हँसी देखकर मेरा हर दुःख दूर हो जाता, वो मेरे हर दर्द की दवा जो थी। कालेज के दिनों से मैं उसे पागलों की तरह चाहता था, आखिर थी भी तो वो कालेज की सबसे सुंदर लड़कियों में से एक। एक साल तो उसे देखते हुए ही निकल गया फिर दूसरे साल उससे बात करने की हिम्मत जुटाई।
"हैलो मायाजी!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा तो माया ने जवाब देते हुए कहा "हैलो मिस्टर?...",
"देव!...देव नाम है हमारा!" हमने हिचकिचाहट से कहा।
"देव?. हाँ तो देव जी कैसे हैं आप?" माया ने खिलखिलाते हुए कहा, उसके शब्द जैसे पायल की छन-छन, मन के तार छेड़ देते थे।
बातें शुरू हुई तो मुलाकातें भी बढ़ने लगी ना जाने कब मैं उसे पसन्द करने से आगे बढ़कर प्यार करने लगा यह पता ही नहीं चला। वह थी एकदम गुलाब की कली के जैसी जिसके दीवानों की कमीं नहीं थी, हर लड़का उससे बात करना चाहता था लेकिन वो किसी को कुछ समझती ही नहीं थी।
मैं उससे अपने प्यार का इजहार कर बैठा तो उसने मुझे भी गंभीरता से नहीं लिया, जब मैंने मेरे पिताजी के द्वारा माया के घर रिश्ता भिजवाया तो उन लोगों ने साफ इंकार कर दिया। वजह जो भी रही हो लेकिन मैं महामूर्ख, निपट गँवारों की तरह उसके विरह में जलने लगा। देखते ही देखते मैं छ: महीनों तक उसके विरह में जलता रहा फिर धीरे धीरे मेरे दिल ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली।
"तू दिल छोटा मत कर मेरे यार!... लेकिन वो तुम्हारे टाइप की नहीं है भाई..... उसके ख्वाब तो IAS बनकर रौब झाड़ना है!" चाय का कुल्हड़ मेरे हाथों में देते हुए मेरे दोस्त ने मुझे समझाते हुए कहा।
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हलाहल - प्यार का विष
Romanceज्योति मौर्या और उसके पति के बीच इस संग्राम ने ऐसी ना जाने कितनी सच्ची कहानियों को सामने ला दिया जो समय की धूल में और नाकारा सिस्टम की वजह से जीते जी दफन हो गए। उन्हीं में से एक मर्द की अनसुनी दास्तान जिसका सच जानने में कोई भी इंटरेस्ट नहीं है। जब...