Episode 3
दोनो कॉरिडोर में आए तब अमन रुक गया।
" यार, मैने हनीत को बोला की आज नहि बंक मारते है, फालतू के खर्चे होने है और पैसे है नही। एक काम कर तू क्लास में वापस चला जा, मैं भी वापस ही चला जाता हूँ। आज नही बंक मरना, ठीक है।" अमन का यह असमंजस देख शहीर ने बैग में रखी पाँच दस की नोट निकाली, जिनमे से तीन शहीर को पकड़ा दी।
"ये ले।"
" यह क्या है? रहने दे। मैं कहता हूं जाना ही नहि है, फालतू का न सब....." अमन ने कहा।
" अब चलना। बड़े दिनो बाद आज बंक मार रहा हूँ।" शहीर ने मुस्कुराते हुए कहा। अब अमन की घबराहट कम हुई।
"पर यार तेरे पास बीस ही है।" अमन ने दस रुपये आगे बढ़ाते हुए कहा।
"अरे बोहोत से चिल्लर पड़े है। अब रख ले।" शहीर ने कहा। इतने में पीछे से हनीत आ खड़ा हुआ।
"तो तुम इसलिए नही आ रहा थे? हैं? सालो एक वारी मुझे बोल देते। कल ही तेरे भाई को पॉकेटमनी मिली है, वरना इन सब के बीच बंक मारने की हमारी औकात है!" हनीत आगे बोला,
"चलो अब "
" वैसे इसबारी पापा ने सौ रुपये कम दिए, बोलते सेविंग्स करो कॉमर्स में हो। कॉमर्स लेना भी पाप है? "
"तो साइंस ले ले। " अमन ने कहा।
" उसमे भी बोलते की बेटाजी साइंस ली है तो बाइक का पेट्रोल बना के खुद भरो, पैसे बचेंगे।"
बातचीत करते तीनो कैंटीन की पीछेवाली दीवार के पास आ पहुँचे, जहाँ से सभी बंक मारा करते।
"ओय बहन तू ये दीवार टाप तो लेगी ना? "
" पहली बार थोड़ी टाप रही हूँ।"
जब तीनो वहाँ पहुचे तो दो लडकियाँ दीवार कूदने के प्रयास में लगी थी। वो दो लड़कियाँ थी, विशाखा और आरती।
" तू भी बंक मारती है !" अमन ने ना चाहते हुए भी कह दिया। वैसे उसने पूछा तो विशाखा से था लेकिन वो कुछ बोले उससे पहले आरती बोल पड़ी, "हाँ, तू वी चल रहा है ?"अमन अब भी विशाखा की तरफ देख रहा था। विशाखा ने पहले बैग फेका और फिर पूरी फुर्ती से दीवार के उस पार जा पहुँची। अमन एक टक देखता रह गया। शहीर अमन का हाल देख उसके कान में फुसफुसाया, " अब तुझे वापस नही जाना ना.."
सब दीवार के दूसरी पर जा पहुँचे और वहाँ से पास वाले स्नैक्स-स्टॉल पर, जहाँ पर पहले से ही क्लास के कुछ दोस्त बैठे थे।
" हाई स्वाती" " ओय करन वीरे वो चेयर पकड़ दे।"
"और कैसा है?"
कुछ देर बातो का सिलसिला चला। हनीत को आरती की बाते बड़ी अच्छी लग रही थी। उसने बगल में बैठी स्वाती से पूछा,
" इसे मोमो पसंद है ?"
"हा लेकिन रेड चटनी के साथ पसंद है।" स्वाती ने जवाब दिया।
" तू श्योर है उसे मोमोज़ पसंद है?"हनीत ने फिर पूछा।
"रुक दिखाती हु।"
" आरती, यह डिम्पसम्स और मोमो सेम ही होते है।"
" नही बहन दोनो अलग होते है। मोमो खाने हो तो चल राजौरी चलते है। " आरती ने कहा।
"राजौरी के मोमो तो मुझे भी पसंद है और मैं तो हंमेशा लाल चटनी के साथ ही खाता हूं।" हनीत ने जितना सामान्य हो सके उतने सामान्य ढंग से कहा।
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Struggling Thrills (स्ट्रगलिंग थ्रिल्स )
Mystère / Thrillerस्ट्रगलिंग थ्रील्स , पश्चिमी दिल्ली के इलाकों से निकलती हुई कुछ अबला किशोरों की कहानी, जो हर टीनएजर की तरह संघर्षो से भरी है पर उनके जैसी नही है। मुश्किलों में रास्ते ढूंढते हुए, संघर्ष, बदला और पश्चाताप के साथ दिल्ली की खूबसूरती को दिखाने के पूरे...