जब तुम थे तब समझाया सबको
ढाई अक्षर प्रेम का
समझ गयत थे सब ना थी कोई शंका मन मैं।
जब
थे नही तुम तब फिर भी
रखा सबने तुम्हारा मान
रखा सबने उस ढाई अक्षर का भी ज्ञान
परंतु
कुछ वर्ष क्या बीते भूल गयत सारा ज्ञान
जानत नही है मनुष्य अब
बस गाता रहेता चलता है नाम प्रेम का
परंतु
भूल जावत है उस
सृष्टि को जिसने बोया था बीज प्रेम का
न ही पता है इनको न हमको की
अक्षर का अर्थ है गहरा
आओ ना कान्हा फिर समझा दो वो
छोटा सा अक्षर प्रेम का
आओ ना फिरसे राधारानी संग कृष्णा
और सीखा दो हमे वो छोटा सा
ढाई अक्षर प्रेम का......- Crystal (क्रिस्टल)
---------------------------------
I hope you all will like my poetry.(आशा करती हु की आपको मेरी कविता पसंद आई हो ।)
Please vote, comment and share.
YOU ARE READING
Poetries (Hindi)
PoetryHi 👋 guys. Here you will find my all original hindi poetries. I hope you will like them. Do vote, comment and share.