जब दिखी मुझे उसकी एक झलक
दिल नहीं समझा
दी किसने ये दस्तक
रख कर निगाहों से दूर उसे
ये दिल रहा किसी और में ही उलझा
न दिल समझ पाया न दिमाग समझ पाया
उस शख्स ने ऐसा प्यार का कहर बरसाया
जब मिलना ही नहीं था उनसे ए मेरे रब
फिर क्यों तूने हमसे यूं उन्हें मिलाया
वो किस्सा था छोटा हो गया पल भर में खत्म
नजरें जब भर गई तब ये दिल को समझ आया
ये था ही किस्सा छोटा जिसको कोई न मिटा पाया
लेकिन जिंदा भी तभी था जब नजरों से था वो भाया