स्वतंत्र पक्षी

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नहीं माँगते सोना चाँदी

दे दो थोड़ी सी बासी रोटी

नहीं चाहिये घी और मक्खन

रख दो पास में पानी का बरतन

इस विशाल धरती पर घर अपना

हरे भरे पेड़ का छोटा सा कोना

चाहत नहीं हमारी!

एयरकंडीशन्ड कमरों में सोना

चाहत है छोटों से दिल की!

उन्मुक्त गगन में उड़ना बस उड़ना

छोटा सी उम्र है अपनी,छोटे-छोटे सुंदर पर

छू लेंगे आकाश दूर से ,उड़ कर इधर उधर

बंद पिंजरों का जीवन भी क्या जीवन है?

इस पेड़ से उस पेड़ पर ही असली जीवन है

खुले गगन में उड़ान भले ही कम रह जाती है

ऊँचा उड़ने की अभिलाषा हौंसला बढ़ाती है

पिंजरे में रोटी-पानी-सुरक्षा सहज ही मिल जाती है

खुले गगन की सूखी रोटी अंतस की भूख मिटाती है

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⏰ Última atualização: May 08, 2021 ⏰

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