Untitled Part 29

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एक  दिन  सुबह  विनय  ने  आयशा  से  पूछा-“आज  कहीं  घूमने  चलोगी। ”

“नही,मैं  समीर  के  साथ  जा  रही  हूँ,” आयशा  ने  कहा।

“मत  जाओ,मेरे  साथ  चलो।”

“मैं  उसे  मना  नही  कर  सकती  हूँ…। वो  मेरा  अच्छा  दोस्त  है।”

“और  मैं?”

“कुछ  नही……………,हमारे  बीच  सिर्फ़  नाम  का  रिश्ता  है  और  मैं  तुमसे  दूर  नही  जा  रही  हूँ,तुमने  ही  मुझे  खुद  से  दूर  किया  है,”आयशा  ने  कहा।

विनय  कुछ  नही  बोला,कुछ  देर  बाद  आयशा  चली  गयी  उसके  जाने  के  बाद  विनय  भी  चला  गया। विनय  रात  को  10  बजे  घर  आया,आयशा  पहले  से  ही  घर  पर  थी।

“तुम  कहाँ  गये  थे?” आयशा  ने  पूछा।

“काम  पर…। तुम  कब  आई?”विनय  ने  पूछा।

“मैं  तुरंत  आधे  घंटे  में  वापस  आ  गयी  थी,”आयशा  ने  कहा।

“क्यों?समीर  के  साथ  जाना  था।”

“नही  गयी,उसे  मैंने  मना  कर  दिया। मुझे  तुम्हारे  साथ  ही  चलना  था  पर  जब  मैं  वापस  आई  तो  तुम  नही  थे।”

“सॉरी,मैंने  सोचा  तुम  अब  शाम  को  ही  आओगी,विनय  ने  कहा  और  वो  लेट  गया,आयशा  उसके  बगल  में  बैठ  गयी।”

“कल  कहीं  चलोगे,कल  मेरा  बर्थडे  है,”आयशा  ने  कहा।

“नही  कल  मेरे  पास  समय  नही  है।”

आयशा  कुछ  नही  बोली। अगले  दिन  विनय  के  जाने  के  बाद  आयशा  को  लेने  समीर  घर  आया  आयशा  उसके  साथ  चली  गयी,दिन  भर  उसके  साथ  घूमी,समीर  के  साथ  उसने  अपना  जन्मदिन  बहुत  अच्छे  से  मनाया। समीर  के  साथ  ही  वो  अपने  मम्मी  –पापा  से  मिलने  गयी। आयशा  बहुत  खुश  थी  उसकी  खुशी  की  वजह  समीर  था  जो  उसका  जन्मदिन  इतने  अच्छे  से  मना  रहा  था। अच्छा  हुआ  जो  विनय  ने  उसके  साथ  कहीं  जाने  के  लिए  मना  कर  दिया  था  नही  तो  वो  इतने  अच्छे  से  अपना  जन्मदिन  ना  मना  पाती। आयशा  की  मम्मी  को  भी  समीर  अच्छा  लगने  लगा  था।

दूरियाँ (Dooriyan) #wattys2017Where stories live. Discover now