नारी की आज़ादी

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ए दुनिया तू क्यों नारी को हंसाती है,
कभी कभी उसे रोने भी दिया कर।
ए दुनिया तू क्यों नारी को भगवान बनाती है,
कभी कभी उसे गलतियों के बीज भी बो लेने दिया कर।
ए दुनिया तू क्यों नारी को सताती है,
कभी कभी उसे भी अपने राज़ खोल देने दिया कर।
ए दुनिया तू क्यों नारी को रोकती है,
कभी कभी उसे भी खुले आसमान में आज़ाद परिंदे की तरह उड़ लेने दिया कर।
उस नारी को भी उड़ लेने दिया कर।।

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