कैद नहीं कर सकती तुम्हें आंखों में
बांध नहीं सकती तुम्हें तस्वीरों से
तुम्हे जहां जाना होगा ,तुम जाओगे
पता नहीं दूसरी बार मिलने पर,
तुम कौनसा रूप दिखाओगेअभी ना जाओ तुम
थोड़ा , दिल तो बहलने दो
तस्वीर ना सही ,
कम से कम ये आंखे तो भरने दोअगर जाना चाहते ही हो तुम ,
तो ठीक है ,चले जाना,
पर कम से कम ये शाम तो ढलने दो
इस सूरज को तो छिपने दो
ये जो हल्की हल्की बूंदे बरसाई है तुमने
इन बूंदो की वजह से आई ,
इस महक से तो उभरने दोजानती हूं कि आई है ये ठंडी हवा
तुम्हें साथ ले जाने को
पर तुम कोई बहाना नहीं बना सकते क्या
इसे थोड़ी देर और उलझाने कोरंग बदल रहा है सुरज भी
हवाएं भी हो रही हैं तेज
क्या ही जानू अब मैं
ये सब देखने आसपास नजर क्या घुमाई
फिर तो दिखी भी नहीं तुम्हारी परछाईलो इतने में अब सूरज भी डूब गया
हवा का रुख भी बदल गया
पर वो धीमी धीमी सी महक अब भी है
शायद , इन आंखों को तालाश तेरी अब भी हैये भी तो बताओ ,
कि तुम यहां से जाकर कहां गए
हो आसमां में अब भी,
या कहीं और बरस गएसुरज तो कल सुबह फिरसे आएगा
कभी ना कभी हवा का रुख फिर बदल जाएगा
पर क्या कभी
तुम्हारा वो रूप वापिस आएगा ?
~पूनम शर्मा