क्यों ठुकराते हो आप हमको, मैं तो हूँ पहचान आपकी,
यूँ कोख़ में क्यूँ हमे मार देते, मैं तो नन्ही सी हूँ जान आपकी,
इस तरह से न काटो ज़रा हमको, दर्द समझो मुलायम खाल की,
बता दो हमको क्यों सज़ा मिली, क़सूर क्या थी इस सन्तान की,
शान बनती मैं भी हर दिन,
मैं बेटी थी हिंदुस्तान की|
नाम केवल क्यों बेटा करता, ये बस बाते हैं संसार की,
कन्या पूजन अब याद नहीं क्या, जब कन्या ढूढ़ने की मांग की,
भूल गये क्यों रानी लक्ष्मी, वो भी बेटी थी इंसान की,
आज तो सरहद पे भी दहाड़ती, बन शेरनी फ़ौलाद की,
अभिमान हूँ माँ मैं तो हर दिन,
मैं बेटी हूँ हिंदुस्तान की|
मानती हूँ की आसान नहीं, राह डगर जीवन की,
दहेज़ लोभ की बोझ भी हैं, चिंता भी हैं मेरे मान की,
पर बात अब ये जान लो माँ, मैं मूर्ति नहीं हार की,
जीवन परान्त मैं साथ रहूँगी, बस पर्वत बनना मेरे ढाल की,
सम्मान बनुँगी मैं तेरी हर दिन
मैं बेटी बनुँगी हिंदुस्तान की|
मत मारना कभी कAll Rights Reserved